एक दिन एक भक्त ने वेदना भरे स्वर में श्री रामकृष्ण पूछा - " महाराज ! क्या पूर्ण त्याग के हमें भगवान् नहीं मिलेगें?"
श्री रामकृष्ण ने कहा - " क्यों नहीं , अवश्य मिलेगें !.....तुम संसार में हो इसमें कोई दोष नहीं ; पर हाँ, अपने मन को भगवान की और मोड़ना चाहिए , अन्यथा सफल नहीं होगे । एक हाथ से अपने कर्म करो और दूसरे से भगवान् को पकड़े रहो और जब तुम्हारा काम समाप्त हो , दोनों हाथों से भगवान् को पकड़ लो ।
श्री रामकृष्ण ने कहा - " क्यों नहीं , अवश्य मिलेगें !.....तुम संसार में हो इसमें कोई दोष नहीं ; पर हाँ, अपने मन को भगवान की और मोड़ना चाहिए , अन्यथा सफल नहीं होगे । एक हाथ से अपने कर्म करो और दूसरे से भगवान् को पकड़े रहो और जब तुम्हारा काम समाप्त हो , दोनों हाथों से भगवान् को पकड़ लो ।