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Saturday 5 November 2016

नि:शुल्क व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला 1 -3 नवम्बर 2016 नवानी, झंझारपुर, बिहार।



‘व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला’ का समापन
पुरस्कार वितरण
इंस्टिच्यूट ऑफ हिलिग एंड अल्टरनेटिव थेरेपी के संरक्षण में श्रीमद फाउंडेशन एवं बच्चों की पत्रिका अभिनव बालमन के संयुक्त तत्वाधान में श्री मद कार्यालय, नवानी ग्राम, पुरवारी टोला पर चल रहे तीन दिवसीय 'व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला' समापन समारोह में विजेता प्रतिभागी के बीच पुरस्कार वितरण किया गया। पुरस्कार में विजेता प्रतिभागियों को प्रशस्तिपत्र, सरस्वती की प्रतिमा और अभिनव बालमन की प्रति दी गई। पुरस्कार वितरण नवानी ग्राम के सरपंच श्री रामगोपाल मण्डल, नवानी ग्राम के पूर्व मुखिया श्री विश्वनाथ कामत और पैक्स अध्यक्ष श्री अरविन्द नारायण चौधरी ने किया। नन्हे प्रतिभागियों को प्रशस्तिपत्र एवं स्केच दिया गया। अन्य को प्रशस्तिपत्र और अभिनव बालमन की प्रति दी गई।
न्यास योग में निम्न प्रतिभागियो ने पुरस्कार पाया।
प्रथम पुरस्कार - शुभम कुमार, कक्षा- दशम, लाल दास उच्च विद्यालय, खड़ाैआ
दितीय पुरस्कार - वर्षा कुमारी, कक्षा-अष्टम, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, नवानी
तृतीय पुरस्कार - सिमरन सिंह, कक्षा-षष्टम, बी ड़ी जी एच एस स्कूल
आभास आनन्द, कक्षा - अष्टम, राजकीय मध्य विद्यालय, खड़ाैआ
सांत्वना पुरस्कार - आभास आनन्द, साक्षी कुमारी और अभय कुमार।
लेखन में निम्न प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।
प्रथम पुरस्कार - अभिजीत कुमार सिंह कक्षा- अष्टम, डी ए वी पब्लिक स्कूल
दितीय पुरस्कार - सिद्धार्थ कुमार, कक्षा-अष्टम, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, नवानी
तृतीय पुरस्कार - संदीप सिंह, कक्षा-षष्टम, केंद्रीय विद्यालय, दरभंगा
सांत्वना पुरस्कार - भावना कुमारी, विघ्नेश कुमार और रिशु कुमारी।
चित्रकला -
प्रथम - अभिजीत कुमार सिंह
द्वितीय - भावना कुमारी
तृतीय - अभिषेक कुमार
सांत्वना - आरती कुमारी, राजकुमारी।
न्यास योग के जज नवानी ग्राम के शम्भुनाथ झा और न्यास योग मास्टर डॉ रीता सिंह थी।
हिन्दी-लेखन के जज उत्क्रमित मध्य विद्यालय, नवानी के शिक्षक श्री अवधेश कुमार एवं झंझारपुर के विनय झा थे।
चित्रकला का प्रशिक्षण मधुबनी पेंटिग की स्थानीय कलाकार श्रीमती प्रभा सिंह ने दिया। चित्रकला प्रतियोगिता में जज की भूमिका श्रीमती प्रभा सिंह श्री रामगोपाल मण्डल एवं ग्रामीणों ने निभाया।
धन्यवाद ज्ञापन श्रीमद फाउंडेशन की सचिव डॉ श्रीमती रीता सिंह ने किया।

Wednesday 12 October 2016

ध्यान साधना में प्रवेश

प्राय: योगाचार्य ध्यान-साधना में प्रवेश को सहजता में लेते है और बिना किसी पूर्व तैयारी के ध्यान पर बैठा देते हैं। यह ठीक उसी प्रकार की बात है बन्दूक चलाना सिखाया नहीं। बन्दूक की अहमियत बताई नहीं। बन्दूक चलाने के यम-नियम बताये नहीं और बन्दूक हाथ में थमाकर युद्ध के मैदान पर भेज दिया।
जबतक अस्त्र चलाना ना आता हो और उसे चलाने की प्रवृति का अभ्यास ना हो जाए तब तक अस्त्र लेकर युद्ध-क्षेत्र या किसी भी क्षेत्र में भेजना अति खतरनाक है।
ध्यान-साधना में प्रवेश से पूर्व यह बताना आवश्यक है कि यह साधना क्यों?
आमतौर पर इसे जन-कल्याण अथवा समाज-कल्याण के निहित बताया जाता है।
चलिए थोड़ी देर के लिए मान भी लेते है कि यह जन-कल्याण और समाज-कल्याण के निमित है। 
तो क्या पहले हम समझते हैं कि जन-कल्याण या समाज-कल्याण है क्या??
पहले समझना होगा जन क्या है?
समाज क्या है?
फिर उनके कल्याण की बात हो सकती है।
पहला 'जन' हर व्यक्ति स्वयं होता है। इसी तरह समाज की पहली इकाई वह स्वयं होता है।
स्वयं पर नियंत्रण, उसके सञ्चालन पर नियंत्रण, मानवीय संस्कारों का स्वयं में बीजारोपण आदि पहला जनकल्याण और समाज कल्याण है।
अब सवाल है क्या आप इसके लिए तैयार हैं?
प्राय: लोग खुद को इसके लिए तैयार समझते हैं।
पर जब भी आप स्वयं कहते हैं, मैं तैयारी में हूँ आप दे दें, फेल हो जाते हैं, क्योंकि देने वाले को सिर्फ हक होता है कि वह परीक्षण कर तय करे कि लेने वाला पात्र तैयार है कि नहीं।
पात्र पञ्च तत्वों से बना मिट्टी का लौंडा है। पहले चाक पर चढ़ाकर उसके पंचतत्वों को सन्तुलित किया जाता है। फिर उसे आकार दिया जाता है। फिर सुखाकर स्थायित्व देते हैं, तब उसमे सामग्री रखते हैं।
यदि पात्र कच्चा रह गया है, तो जो भी उसमें रखा जाएगा मिट्टी बन जाएगा।
अब कुम्हार की कुशलता और मिट्टी की प्रकृति तय करती है कि पात्र कितनी जल्दी तैयार होगा, फिर भी एक निम्न समय-सीमा तो होती ही है।
जैसे कोई वृक्ष चाहे कितनी अच्छी प्रजाति का लगाएं उसके विकास की जो एक निश्चित सीमा है उस समय तक फल के लिए इन्तजार तो करना पड़ेगा।
सद्गुरु ही वह कुम्हार हैं, जो सही पात्र निर्मित करते हैं।

सद्गुरु हमेशा कहते हैं....

सबसे जरूरी स्वयं का परिमार्जन प्रारम्भ करें।

अपनी भावना पर नियंत्रण प्रारम्भ करें।

अंदर और बाहर को एक कर लें।

आप जीवन के जिस भी पड़ाव पर हैं, उस क्षण को पूरी जीवटता के साथ जीएं,जिंदादिली के साथ जीएं।

केवल उस क्षण में जीएं जो सामने है,जैसा भी है।

पुरानी बातों से अनावश्यक रूप से अपने ऊपर बोझ न डालें और न ही अपने वर्तमान पर भूत का बोझ पड़ने दें।

जीवन के अध्याय जैसे जैसे समाप्त होते जाएँ,उन्हें बंद करते जाएँ। वापस बार बार पीछे जाकर उन अध्यायों को,पुरानी बातों को खोलने की कोशिश न करें अन्यथा आप अपने  वर्तमान को भी ख़राब कर लेंगे।

न तो पूर्व की किसी बात को नए तरीके से आंकलन कीजिए। हो सकता है कोई पुरानी बात आज के परिपेक्ष में आपको ठीक न लगे लेकिन उस समय के अनुसार वह शायद उस सन्दर्भ में ठीक रही होगी।

और आज की बात आज के सन्दर्भ में सही हो सकती है। इसलिए उनकी तुलना मत कीजिए।

हो सकता है कि हम  बाहर की दुनिया में  बहुत सफलता प्राप्त कर लें, पर असली सफलता तो अपना आतंरिक परिवर्तन,पहले अपने को बदलना आवश्यक है।
जैसे ही बदलाव प्रारम्भ हो जाएगा, आप ध्यान-साधन के पात्र बन जाएँगे, फिर वहां के लक्ष्य आपके होंगे।

Friday 29 April 2016

Why Nyas Yog?



Your body contains 7 energy centers, or chakras located along your spine. Chakra is a Sanskrit word meaning 'wheel' or 'vortex'. These chakras are literally spinning wheels of energy, pulsing and radiating with light. They emit and receive energy.

And if just ONE of these chakras is out of balance and alignment? It can throw off the entire flow of energy through and around your body. Plunging your life into a downward spiral of upset, turmoil and despair. The universe seemingly spinning out of control.And you won't even know what hit you. It'll be that swift and sudden.

This energy flow which, by the way , reflects immediately in the quality of people, events and situations around you.

Each chakra influences a different part of your life..

With the help of Nyas Yog you will know if any (or all) of your chakras are blocked.

For instance, if you're stuck in a bad relationship...
Or If your self-esteem, confidence or direction in life has hit rock bottom...

If your health is suffering, you're facing challenges and you don't know which way to turn...

Or if you're struggling financially. Finding yourself chasing money when you feel you should be living a life of abundance and prosperity...

There's a specific chakra for each of these problems.
And you just have to discover how to get in touch with it.
This is what the techniques of Nyas Yog does for you.

Wednesday 30 March 2016

जन्मदिन पर भावभरा चरण स्पर्श।




Dr. B.P. Sahi in Nyas Yog class

Founder Director:  Institute of Healing and Alternative Therapy
M.A. (Psy.) Gold medalist, DMS (Hons), G.M.
D.H.M.S. (Hons). D.P.H. (U.K.)
Spiritual Grand Master, Reiki Master, Karuna Reiki Master
Ex. Clinical Psychotherapist
Department of Psychiatry, P.M.C.H., Patna
Founder Member:
The World Foundation for Natural Medicine (U.K.)
Patron:
The White Rose Foundation (U.K.)

President :
Reiki Association of Patna
Patna Reiki Club

गुरुजी यानी डॉ बी. पी. साही। सरल, सौम्य, शांत, आकांक्षारहित, मृदल, स्नेही। चेहरे पर मुस्कान। संयमित स्वर। ओजस्वी वक्तव्य। यदा-कदा मधुर डांट। मानव मात्र के कल्याण के निमित्त पल-पल का जीवन समाज को समर्पित ।
न्यास योग आध्यात्मिक चिकित्सा पद्धति के प्रर्वतक गुरु डॉ. बी. पी. साही किसी परिचय के मुंहताज नहीं हैं। पिछले तीस सालों से वे लोक-कल्याण हेतु मौन सेवा दे रहे हैं। श्री श्री राम ठाकुर परम्परा से दीक्षित गुरुजी ने कई परम्परा के सुन्दर पक्ष को सीखा और अपनाया। आज भी गुरुजी नित्य नई खोज में संलग्न रहते हैं, ताकि संर्पूण जगत अध्यात्म की सुन्दर कृति नजर आए।
आठ वर्ष की उम्र मेँ अपने गुरु श्री एच एम चक्रवर्ती के सानिध्य में उन्होंने अपनी आध्यात्मिक साधना प्रारंभ की। जप, ध्यान, साधना की हर सीढ़ी लांघकर ईश्-कृपा प्राप्त की। हमें अहसास है, पर वे निर्लिप्त हैँ।  कहते हैं- " बस अभिमान त्याग दो, सब मिल जाएगा।"
तंत्र-साधना के विभत्स, कठिन और डरावना स्वरुप को इन्होंने बदल डाला। गुरुजी कहते हैं-"तंत्र यानी व्यवस्था। सही ढंग से जीवन जीने की कला ही तंत्र है। " उनकी शिक्षा है- "मनोवृति में बदलाव, प्रवृति पर नियंत्रण, चित्त- शक्ति के विलास में विश्वास ही तंत्र-साधना है।  तंत्र-साधना कुछ पाने का माध्यम नहीं है, यह लोक-कल्याण के लिए स्वयं को सशक्त बनाने का माध्यम है।"
लोक-कल्याण की भावना से अभिभूत गुरुजी ने गुरु-आदेश से न्यास-साधना को न्यास-योग में तब्दील किया, ताकि जन-जन में साधना का सही स्वरुप निरुपित हो जाए।  न्यास-योग शरीर, मन और आत्मा में संतुलन स्थापित करता है।  न्यास-योग एवं तनाव प्रबंधन कार्यक्रम के द्वारा युवा-वर्ग को दिशा-निर्देशित कर गुरुजी समाज की रीढ़ को स्वस्थ करने में लगे हैं। नशा-विमुक्ति कार्यक्रम के द्वारा समाज को भौतिक और मानसिक दोनों नशा से मुक्त कराने का प्रयास विश्व स्तर पर चल रहा है।

उनके गुरुजी ने कहा था-" तुम्हारी मौन साधना समाज को आवाज देगी।"  गुरुजी कहते हैं- " आप सभी मेरी आवाज बन मेरे गुरुवाणी को सत्य बनाया।"  अद्भूत है गुरु-लीला। उनका सानिध्य बना रहे। आशीर्वाद बरसता रहे । जन्मदिन पर भावभरा चरण स्पर्श।

समस्त न्यास योगी परिवार

Wednesday 13 January 2016

संक्रांति की शुभकामनाएं !!
आपके जीवन का अँधेरा छट जाये एवं ज्ञान और प्रकाश से आपका जीवन उज्जवल हो जाये !!