प्रेम और क्षमा जैसे दो शब्दों से जिंदगी को आसान कर दिया।
लक्ष्मी शुक्ला, लखनऊ
मुझे न्यास योग से जुड़े हुए लगभग एक वर्ष हो गया है। इसलिए मैं सभी से न्यास योग के द्वारा हुए कुछ अनुभवों को साझा करना चाहती हूँ।
जिसके लिए सबसे पहले मैं अपने न्यास योग प्रणेता डा0 बी0 पी0 साही जी को धन्यवाद देना चाहूंगी जो न्यास योग नामक विधा को हमारे बीच लाये। गुरु जी ने पटना, बिहार मे हीलिंग एंड अल्टर्नेटिव थेरेपी संस्थान की स्थापना की। न्यास योग हमारे शारीरिक और मानसिक तनाव को खत्म करके हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाता है।
उसके बाद मैं अपनी ग्रैंड मास्टर डा0 रीता सिंह मैंम को धन्यवाद देना चाहूंगी जो वर्तमान में HOD, Education department at A.N. College and Founder, centre for nyas yog and alternative therapy Patna, Bihar हैं। जिन्होंने बहुत ही सहजता, सरलता प्यार से इस विधा को हमारे अंदर मे उतारने का प्रयास किया और कर रहीं हैं।
न्यास शब्द नि+अस से बना है जिसका अर्थ है निकालना और रखना। सच ये निकालने व रखने की प्रक्रिया बड़ी ही मज़ेदार और जादुई है। इस प्रक्रिया मे मानसिकता बदलाव के “आज के दिन के दस वाक्यों” को प्रतिदिन न्यास अभ्यास के द्वारा स्वयं मे धारण करने के प्रयास ने मेरे सोचने की दिशा को बदल दिया और मैं स्वयं को सकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ महसूस करने लगी। अब अगर मन में कभी नकारात्मक विचार आते भी हैं क्योंकि विचार तो विचार हैं कैसे भी हो सकते हैं तो सकारात्मक विचारों से तुरंत उसकी सफाई हो जाती है।
मेरा पहला अनुभव
अच्छी नींद का आना- न्यास मे जुड़ने से पहले मुझे कई- कई दिनों तक नींद ही नहीं आती थी, लेकिन जबसे मैं न्यास योग से जुड़ी हूं तब से मुझे बहुत ही अच्छी नींद आने लगी है। मैं रात को साढ़े तक सो जाती हूँ और प्रातः साढ़े तीन तक मेरी आँख स्वतः खुल जाती है। दिन भी अच्छा रहता है।
मेरा दूसरा अनुभव
भावुकता पर नियंत्रण - पहले किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति की तरफ से यदि कुछ भी विपरीत हुआ तो मन बहुत ही दुखी हो जाता था और रोना आता रहता था, पर न्यास मे आने के बाद अब ऐसा कुछ भी नहीं होता है।
मेरा तीसरा अनुभव
समृद्धि के सम्बंध मे- मेरे नए घर मे मेंटीनेंस से संबन्धित कुछ काम पेंडिंग पड़े थे। वह सब कंप्लीट होते चले गए। यह है न्यास का कमाल क्योंकि सकारात्मक भाव से हम जो सोचते हैं वैसा होता जाता है। जैसा हम स्वयं के बारे में सोचते हैं वैसे हम होते जाते हैं।
मेरा चौथा अनुभव
स्वास्थ्य के सम्बंध मे- अभी हाल मे ही मेरे पेट मे बहुत ही भारीपन सा लगता रहता था, भूख भी नहीं लग रही थी, constipation की भी समस्या हो रही थी। ऐसे मे रीता मैंम के द्वारा सिखाये गए दिव्य प्रेम मंत्र व दिव्य आरोग्य मंत्र के जाप एवं सिंबल द्वारा चिकित्सा के लिए जल को तैयार किया। फिर दिव्य प्रेम मंत्र का ध्यान करते हुए चिकित्सा जल को दिव्य जल और दिव्य औषधि के रूप मे ग्रहण किया तो मेरे पेट की समस्या से मुझे निजात मिली।
इसके अतिरिक्त हमारे घर मे, हमारे कार्य क्षेत्र में या कहीं भी किसी व्यक्ति, वस्तु व परिस्थिति से संबन्धित कोई समस्या होती है तो रीता मैंम के द्वारा सिखाये गए न्यास मंत्र एव उपायों का प्रयोग करते ही सब कुछ ठीक व सकारात्मक हो जाता है।
अंत मे मैं एक बात और साझा करना चाहूंगी कि यह सब कुछ गुरू जी के आशीर्वाद, विश्वास व रीता मैंम के प्यार और सानिध्य से ही संभव हो पाया है।
रीता मैंम आपका पुनः दिल से आभार वा बहुत–बहुत प्यार क्योंकि आपने प्रेम और क्षमा जैसे दो शब्दों से जिंदगी को आसान कर दिया।
“दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग शोक नष्ट हो। दिव्य क्षमा प्रगट हो, रोग शोक नष्ट हो।“