Translate

Wednesday, 23 January 2013

कर्म का स्वरूप

आमतौर पर कर्म की परिणति के रूप में हम फल की आशा रखते हैं। ये सहज मानव प्रवृति है और ठीक भी है। पर इस सोच के साथ हम याद नहीं रखते कि हर कर्म की प्रतिक्रिया कर्म के अनुरूप होती है। विज्ञान ने भी ये बात सिद्ध कर दी है। न्यूटन का तीसरा नियम बतलाता है कि प्रत्येक क्रिया के विपरीत उसी के अनुरूप प्रतिक्रिया होती है। स्वभाविक है जब हम कोई कर्म करते है तो उसका फल उस कर्म में लगाए गये उर्जा के अनुरूप मिलता है। यदि कर्म में हमने 100 प्रतिशत दिया है तो फल निश्चित ही 100 प्रतिशत मिलेगा।
पर हम करते क्या है?
पूरी निष्ठा से कर्म तो नहीं करते पर पूरी निष्ठा से फल की आशा में लगे रहते है और फल प्राप्ति में थोड़ी कमी रह गई तो तनाव में आ जाते है। नकारात्मक व्यहार करने लगते है। जरुरत कर्म को 100 प्रतिशत देने की है कर्म का स्वरूप स्वत: पूर्ण फल देनेवाला हो जायगा।


Tuesday, 1 January 2013

Nyas Yoga Healing training held

TNN Mar 24, 2011, 04.28am IST
PATNA: The Institute of Healing and Alternative Therapy on Wednesday organised a free Nyas Yoga Healing training for women on the occasion of Bihar Diwas celebration. The women, including teachers, were imparted this training by a team of healers led by the reiki master and founder president of the institute, Dr B P Sahi. He said that this training for women was special as they were explained about its benefit in improving their intellect, financial condition, career prospect and other aspects of life.