न्यासयोग पाठ्यक्रम, अप्रैल, 2020 (प्रथम बैच)
"क्या खोया क्या खोया"
स्मिता सुप्रीति
न्यासयोग पाठ्यक्रम में मैं इतना कुछ खोयी, जितना अभी तक के जीवन सफर में कभी नहीं खोयी।सर्वप्रथम अपनी सुबह की गहरी नींद खोयी। फिर अपना चिड़चिड़ापन खोयी,क्रोध को मैंने खो दिया।कटु शब्दों के बाण को खोयी, उसके बाद दूसरों की हंसी उड़ाना,दूसरों की शिकायतें करना और सुनना को खो दी।अपने तनाव,ईर्ष्या को खोयी।दूसरों की अवहेलना करने की आदत को ख़ोई।
सबसे महत्त्वपूर्ण मेरी नकारात्मकता ही पूर्णतः खो गई।
सबसे ज्यादा अनमोल मेरे यह छह महीना।
धन्यवाद मेरी गुरु मेरी परम् मित्र रीता(जी) इन बीते हुए अनमोल छह महीने एवम् आने वाले सारी जिंदगी के लिए।
न्यासयोग ऊर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में अहम् रुप से कारगर है।आज की व्यस्ताओं भरी तनाव पूर्ण जिंदगी में हरेक दिन खुद की ऊर्जाओं के साथ कम से कम आधा घंटा बिताए तो हमारे जीवन की नकारात्मकता हमें छोड़ कर चलीं जाएगी, औंर हम तन और मन दोनों से स्वस्थ हो जाएंगे।जब हम स्वयं स्वस्थ्य और सकारात्मक हो जाएंगे तो अपने आप आस पास के व्यक्ति और वातावरण भी स्वस्थ एवं सकारात्मक हो जाएंगे। यही से समाजिक बदलाव की शुरुआत होगी।
आज के लोगों में किसी कार्य के प्रति धैर्य, विवेक एवं सामंजस्यता की कमी है,एक दूसरे से आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण में ऊपर उठने की चाह से उनमें द्वेष,ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा इत्यादि मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।
खाने पीने और सोचने की अनुचित आदतों से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से घिर जाते हैं।
न्यासयोग में जुड़ने से ,गुरु के निर्देशानुसार बताए गए अभ्यासों को करने से हमारी ऊर्जा बिम्ब सुक्ष्म से सुक्ष्म विपदाओं से हमें तथा हमारे अपनो को संरक्षित करती हैं।पितृदोष जो हमारे समाज के लिए सबसे बड़े दोष के रूप में बताए जाते हैं और इससे बचने के लिए कई प्रकार के कर्मकांड बताए जाते हैं।
न्यास योग में यह बहुत सहज तरीके से बताया जाता है और इसे आनन्दोत्सव के रूप में मनाकर पूर्वजों के प्रेम से जोड़ देता है। पितृदोष से मुक्ति एक पीढी ही नहीं वरन् सात पीढियों के लिए बताया जाता हैं।
"दिव्य प्रेम प्रगट हो,रोग शोक नष्ट हो" मंत्र के जाप से सभी तरह की शारीरीक एवं मानसिक रोगों से निजात पा सकते हैं।
मैं अपनी गुरु डा. रीता सिंह जी की सदा आभारी रहुँगी,जिन्होंने मुझे न्यास योग उपचार एवं तनाव प्रबंधन पद्धति के लिए अपनी शिष्य के रूप में स्वीकार किया।
यह पद्धति समग्र रूप में मन को बदल देती है। जीवन के आदर्श गुणों से परिचय करवाती है। ईर्ष्या, क्रोध, आक्रोश सबसे दूर रहने का तरीका सिखाती है।
प्रेम, क्षमा, सफलता के साथ जीने की कला सिखाती है। इससे अच्छा और क्या चाहिए?
अपने जीवन में आएं बदलाव के आधार पर कहती हूँ कि इसका अभ्यास समाज में बढ़ जाये यो बदलाव आना ही है। इस सुंदर आभ्यास को लाने के लिए न्यास गुरु डॉ बी पी साही को बहुत बहुत धन्यवाद।
4 comments:
Inspiring notes and for thank you for sharing your experiences and transformation
Thank u for sharing your experience
Thank u for sharing your experience
बहुत बहुत आभार रीता जी🙏🙏
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