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Friday, 15 February 2013

न्यासयोग के द्वारा चक्र संतुलन

हमारे शरीर में मूल रूप से सात अंत श्रावित ग्रंथियां होती है। ये अंत श्रावित ग्रंथियां हमारे शरीर की आवश्यकता के अनुसार हार्मोन्स तैयार करती है। इन हार्मोन्सो के द्वारा ही हमारे शरीर की हर गतिविधि संचालित होती है।
ये सातो ग्रंथि हमारे सुक्ष्म शरीर में स्थित  सात चक्रों से जुडी होती है वास्तव में स्थूल शरीर में स्थित ये सात अंत श्रावित ग्रंथियाँ सूक्ष्म शरीर में स्थित चक्रो के प्रतिरूप है। यदि इन चक्रों को संतुलित कर लिया जाए तो ये ग्रंथियां सुचारू रूप से काम करते हुए शरीर को स्वस्थ रखती है।
                              जब हम इन चक्रों के संतुलन का तरीका जान लेते है तब शरीर के हर गतिविधि पर अपना नियंत्रण पा लेते है और इसको स्वस्थ रखना हमारे नियंत्रण में हो जाता है।

सातों चक्र एवम उनसे जुडी ग्रंथियाँ  : -

           चक्र                                                                 अन्तश्रावित ग्रंथियाँ 

  1. मूलाधार चक्र                                                             एड्रिनल ग्रंथि 

  2. स्वाधिष्ठांन  चक्र                                                         गोनेड्स ग्रंथि 
           
  3. मनीपुर  चक्र                                                             पैन्क्रियाज ग्रंथि 

  4. हृदय चक्र                                                                  थाइमस  ग्रंथि 

  5. विशुद्ध चक्र                                                                थाइराइड  ग्रंथि 

  6. आज्ञा चक्र                                                                पिट्यूटरी  ग्रंथि

  7. सहस्त्रार चक्र                                                             पीनियल ग्रंथि  

                           
                                  न्यासयोग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे चक्र संतुलन करने का तरीका  सिखाया जाता है। प्रथमत: इसमें सभी चक्रो के संतुलन की विधि सिखाई जाती है। उसके बाद व्याधि विशेष को समाप्त करने संबंधी चक्र संतुलन की विधि बताई जाती है। सबसे अहम् बात न्यासयोग में न सिर्फ  व्याधि विशेष का निदान मिलता है बल्कि जीवन से जुडी तमाम समस्याओं का समाधान भी मिलता है।

Wednesday, 13 February 2013

Tuesday, 12 February 2013

Nyas Meaning

Nyas means establishment. It means establishment of your own desired God within your desired body organ accompanied by chanting of mantras. This is done to relax out the tired out body or any specific organ and to fill it with new energy. Nyas is an important method to remove dosh (inefficiency) of our body. Nyas is an important spiritual method in Hinduism to reactivate human emotions and to re-establish lost energy among different organs, of lost joy in various unliving beings too. It is often done before starting of any good work.
Practicing Nyas has been since Vedic times and is fore runner of Reiki.

Source : http://en.wikipedia.org/wiki/Nyas

Saturday, 9 February 2013

Mantra Shakti

मंत्र शब्दों के संग्रह को कहते हैं । यह संस्कृत भाषा का एक महत्ब्पूर्ण शब्द है ।
प्रत्येक मंत्र की एक विशेष प्रकार की कम्पन आवृत्ति (vibration )  होती है जो
उर्जा के विभिन्न स्तर को आकर्षित करती है एवं  इन मन्त्रों के एक निर्धारित
संख्या तक उच्चारण से हमें कॉस्मिक एनर्जी ('life force ') से जुड्रने में मदद
मिलती है ।
मन्त्रों का प्रयोग प्रकट इरादे , कल्याण के  लिए सार्वभौमिक उर्जा को बुलाने
और व्यक्तिगत तरक्की के लिए होता है ।
मन्त्रों का प्रयोग करके हम अपनी उर्जा के स्तर को संतुलित कर सकते हैं
और स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं ।
जब मन्त्रों के उच्चारण से हम अपनी अध्यात्मिक चेतना को जगाते हैं तो यह
न सिर्फ हमें बल्कि  हमारी पिछली सात पीढ़ियों को  और अगली सात पीढ़ियों
को भी शांति प्रदान करती है ।
मंत्र हमारे शरीर, मन और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं ।