Translate

Thursday 25 June 2020

न्यासयोग विमर्श - क्या न्यास योग उर्जा उपचार व्यक्तित्व/सामाजिक बदलाव में सहायक है*

5 दिन के इस कोर्स से बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव आया - नवरतन, नई दिल्ली

 सुप्रभात मैम, मैंने 5 दिन की न्यास योग की क्लासेस ली उसके बाद जीवन में जो सकारात्मक और अभूतपूर्व बदलाव आया उसे यहाँ बता रहा हूँ।
पहले दिन की क्लास से कुछ 2 हफ्ते पहले तक मैं अपने दोस्तों के व्यवहार से और अपने भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा परेशान था, सुबह से शाम तक पता नहीं कितनी बार उन्हीं बातो को सोच-2 कर कुंठित होता रहता था पर उस दिन मैंने उन 2 वचनों का अनुसरण किया तो एक चमत्कार जैसा हुआ, मन बिल्कुल शांत हो गया, उन दोस्तों को मैंने आभार और माफी का मैसज किया।
 ऊर्जा बिम्ब से मैंने अनुभव किया कि मन अति प्रसन्न होता रहा पूरे दिन अलग सा महसूस किया और जिन बातों को लेकर काफी दिनों से विचलित था अब उन्हीं बातों पर खुद ब खुद सकारात्मक विचार आने लगे, मन से बोझ सा उतर गया। और अंतिम दिन वाले अभ्यास से मैंने अपनों के बारे में चिंतित होने की बजाए उनको ऊर्जा देना शुरू कर दिया।
ऐसा नहीं कि अब आलोचनात्मक विचार नहीं आते पर जैसे ही आते हैं तो अंदर से लगने लगता है कि नहीं ये नहीं करना, मुझे सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करना है। एक दिन कॉन्फ्रेंस कॉल पर एक चौथे दोस्त की आलोचना शुरू हुई और मेरे अंदर से अचानक उसके लिए ऐसे शब्द आये कि हमें उसकी परिस्थितियों को समझना चाहिए शायद वो सही हो हम गलत हो।
अंत में इतना कहना चाहूंगा कि मैम इस कोर्स से बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव आया और मुफ्त में आपने कई सारी समस्याओं का निदान कर दिया आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद।
यह कोर्स इतना अच्छा और अनिवार्य है कि मैं और लोगों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करूँगा। अगर यह कोर्स1 हफ़्ते के कोर्स के रूप में पूरे देश के स्कूली पाठ्यक्रमों में लागू हो जाये तो युवा पीढ़ी की बहुत सी परेशानियों हल हो जाये और मानसिक तनाव व आत्महत्या जैसे मामले खत्म हो जाये।
मैं तो आपसे आग्रह करूँगा की प्रत्येक वर्ष में 4 बार ऐसे 1 हफ्ते के कोर्स करवाएं ताकि हम भी अपने आस पास के और अपने जानकारों को इसे जॉइन करने के लिए बोलें। यह ऐसा कोर्स है कि लोगो को पता भी नहीं है कि इससे जीवन में कितने बदलाव आएंगे और ना जाने कितनी समस्याओं के हल वे खुद निकालना सीख जायँगे।

######################################

न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार से सामाजिक बदलाव संभव है।
संगीता पालीवाल, भोपाल

 जब मुझसे प्रश्न किया गया कि क्या
न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार से सामाजिक बदलाव संभव है। मैंने खुद को तीन महीने पहले से खंगाला। आज से तीन महीना पहले सेंटर फॉर न्यास योग एंड अल्टरनेटिव थेरेपी के द्वारा चलाया गया सिक्स  मंथ सर्टिफिकेट कोर्स  जिसका नाम है -- न्यास योग एनर्जी थेरपी एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट --
ज्वाइन किया था। कोर्स की ग्रैंड मास्टर रीता जी के कहने पर मैंने यह शुरू किया । वो जानती थीं  कि मुझे योग में बहुत रुचि है ।
अप्रैल के शुरू में तो मुझे कोई खास अनुभव नहीं हुआ । पर हां बचपन से ही मुझे प्रत्येक कार्य सुचारू रूप से करने की आदत वश  मैंने रीता जी की प्रत्येक क्लास को ध्यान पूर्वक अटेंड किया और नॉट्स भी लिए ।
उससे ये फर्क तो आया कि मै कभी कभी उस अपने लिखे हुए को , या गुरुमुख वाणी तथा जो रीता जी हमें कोर्स का सिलेवश भेजती थी उसको पढ़ती रहती थी ।
अप्रैल अंत में इतना समझ आ गया था कि इस पाठ्यक्रम से बहुत कुछ सिखा जा सकता है ।  26 अप्रैल ज़ूम क्लास में जब हाथों में अपनी ही ऊर्जा को महसूस करना बताया तब उसको जब मैने महसूस किया  उस दिन मुझे  पक्का  यकीन हो गया कि जो तुम चाह रही थी,वो सब कुछ तुझे यहीं मिलेगा।
खासकर तेरे सारे प्रश्नों के उत्तर और खुद को भी पूरी तरह से जान पाएगी। जब अप्रैल दूसरे सप्ताह में हमें आज के अभ्यास के विषय में बताया  गया तब मुझे लगा ये तो हम सभी जानते है । अप्रैल अंत तक आते आते  रीता जी द्वारा बार बार हमें ये याद दिलाना कि आज के दिन अभ्यास को अपने दैनिक कार्य का हिस्सा बनाना है तब लगा कि इतने दिनों में तो एक तोता भी रट लेता फिर मै तो इंसान हूं तो सोचा कि एक बार अनुसरण करने में क्या जा रहा है। फिर उस अभ्यास के दो वाक्य पर मैने  पूरी ईमानदारी से काम करना शुरू कर दिया ।  तब तक मई शुरू हो चुका था। पूरा मई और जून एक स्वप्न की तरह बिता।
आज तीन महीने पूरे हो गए । इन तीन महीनों में मैने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया । लेकिन जो भी खोया उससे जो मन को आंनद मिला वो  मेरे लिए अनमोल है ।
    मै शुरू से ही बहुत इमोशनल रही हूं दिमाग से नहीं दिल से सोचती थी  । इससे मेरी दूसरे लोगों से एक्सपेक्टेशनस ( उम्मीद )बहुत बढ़ जाती थी और जब वो पूरी नहीं होती थी तब मुझे बहुत तकलीफ होती थी। बहुत रोती थी कभी अकेले में और कभी ईश्वर के सामने।
सोचती थी कि मै तो सभी के लिए अच्छा सोचती हूं फिर मेरे साथ एसा क्यों, कभी कभी तो  तकलीफ इतनी ज्यादा कि मै फिजिकली भी सफर करती थी।
लेकिन न्यासयोग एनर्जी थेरपी  और  मंत्रों के माध्यम से  उस सोच से बिल्कुल निकल चुकी हूं । अच्छा महसूस होता है उन बातों पर ध्यान ही नहीं जाता । सबसे अच्छी बात मंत्र के जाप द्वारा मेरा मन शांत हो गया  है क्योंकि मन में नकारात्मक विचार आने बंद हो गए।
 जो कारण मुझे तकलीफ देते थे, इन तीन महीने के दौरान मैने उसे पूरी तरह खो दिया और अब बस दिल दिमाग में आनन्द शेष रह गई है।
 न्यासयोग गजब की तकनीक है, कैसे धीरे से आपकी सोच को पॉजिटिव कर देती है, पता भी नहीं चलता है। 
अब तो हर किसी के लिए मन से दिव्य प्रेम का भाव निकलता है।  
 अंत में यही बताना चाहती हूं कि ये बदलाव मेरे लिए बहुत बड़ा अचीवमेंट है । इससे मै शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ और प्रसन्न हूं।
बस वही बात जब मैं बदल सकती हूं, तो समाज क्यों नहीं? 
समाज भी तो हमसे ही है। 
निश्चित न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार यदि पूरा समाज अपना ले तो वह दिव्य प्रेम में बदल जायेगा। 

न्यासयोग प्रणेता, न्यासयोग प्रशिक्षक, न्यासयोग पद्धति सभी को धन्यवाद।

-----////-------////--------////------////------////-----////------//
न्यास योग उर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में सहायक है*
अनिता पांडे, कोलकाता
प्रशिक्षणार्थी - छह मासीय ऑनलाइन न्यासयोग एवं तनाव प्रबंधन

 आज का उद्बोधन।
सभी को प्रणाम। सबसे पहले रीता दी का आभार। उनके माध्यम से हम लोगों को *श्रीमद् फाउंडेशन, सेंटर फाॅर  न्यास योग एवं अल्टरनेटिव थेरेपी संस्था* से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जो कि सामाजिक कार्यों को समर्पित एक संस्था है।

आज विमर्श का विषय है -
 न्यास योग उर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में सहायक है*
 मेरा उत्तर है - हां । यहां से योग ऊर्जा उपचार। अगर इन शब्दों के अर्थ पर जाएंगे तो पता चलता है कि इसमें दो चीजें काम करती हैं-  न्यास यानी निकालना और रखना साथ ही  इसका योग उर्जा उपचार के साथ करना। उर्जा किसी और की नहीं, कहीं और की नहीं, वरन स्वयं की। *एक अद्भुत समग्र आध्यात्मिक उपचार*

अब महत्वपूर्ण प्रश्न आता है कि क्या निकालें और क्या रखें।

न्यास योग के द्वारा हम तमाम तरह की नकारात्मकता को बाहर निकालते हैं और उसकी जगह सकारात्मकता की स्थापना करते हैं एवं उर्जा उपचार द्वारा तन और मन दोनों को ऊर्जावान बनाते हैं जिससे समग्र संतुलन में सहायता मिलती है।

आज हर व्यक्ति पारिवारिक मानसिक सामाजिक आर्थिक व्यावसायिक असंतुलन से गुजर रहा है। तनाव बढ़ते बढ़ते कुंठा में परिवर्तित होता चला जाता है और व्यक्ति का तन और मन दोनों ही बिगड़ जाता है। ऐसे में न्यास योग अत्यंत ही कारगर तकनीक है। यह एक ऐसी विधा है जो शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर कार्य करती है। व्यक्ति ऐसी उर्जा से परिपूर्ण हो जाता है जिससे परिस्थितियों से जूझने में सफलता मिलती है हमारा मन संतुलित होता है विषमताओं का नाश होता है और सफलता के रास्ते खुलते हैं।

अगर समाज की एक इकाई होने के नाते मैं स्वयं की बात करूं तो मेरे जीवन में ढेर सारी परेशानियां थी।
मुझे एक दिन अचानक से न्यास योग के बारे में पता चला। एक अनसुना सा नाम तो इस बारे में जिज्ञासा बढ़ी फिर इसके बारे में जाना और संयोगवश जल्द ही क्लास करने का मौका भी मिल गया। न्यास योग अपनाने  के बाद से जीवन में काफी सारे बदलाव आए हैं । मेरे जीवन में सुख शांति आ गई है।

एक केस का जिक्र करना चाहूंगी जिससे मुझे संबल मिला-

एक पढ़ी-लिखी लड़की की शादी एक संभ्रांत परिवार में हुई परंतु अमीर लोगों के संस्कार बड़े निम्न कोटि के थे। वस्तुतः उनके ससुर जी टायर पंचर बनाते थे और झुग्गी झोपड़ी में रहते थे। एक बार 1 धनाढ्य व्यक्ति की उन्होंने मदद की तो खुश होकर उन्होंने धन दिया जिससे उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया और वह चल निकला। परंतु गुस्सा होने पर लड़ाई झगड़े करना और गालियां निकालने का संस्कार था जैसे कि साधारण तौर पर झुग्गी झोपड़ी वाले लड़ते हैं।

लड़की को सब सुख था परंतु अच्छे परिवार से आने की वजह से इन गंदी गालियों को सुनकर वह अत्यंत दुखी हो गई थी और उसने तलाक लेने का निर्णय किया और यह बात उसने अपने बुआ को बताइ।

बुआ बुद्धिमान थी उसने उससे कहां तुम यह लिखो कि तुम्हारी मनपसंद ससुराल और पति कैसा होना चाहिए और फिर स्वयं से पूछो की दूसरी शादी जो तुम करोगी वहां तुम्हारी मनपसंद का सब कुछ मिलेगा और दूसरी बात है अब तुम्हारा स्टेटस बदल गया है अब तुम कुंवारी कन्या नहीं बल्कि तलाकशुदा कहलाओगी।

बुआ अध्यात्म से जुड़ी थी और उन्होंने अपने भतीजी को न्यास  योग से जुड़ने की सलाह दी ताकि सबसे पहले वह अपने जीवन का सुधार कर सके। जो कुंठा और तनाव उसके मन में घर कर गया था, जो तलाक लेने की वजह बन रही थी,  उस को निकाल सके। न्यास योग अपनाने पर उसके जीवन में काफी बदलाव आया । उसने स्वयं को बदला और फिर अपने परिवार को बदलने पर कार्य शुरू किया। आज परिस्थितियां काफी काबू में है। उसने समस्या से भागने की बजाय समस्या के समाधान पर कार्य किया। रिश्ते को एक मौका दिया। आत्मविश्वास से भरकर एक नए पथ पर चल पड़ी।

सभी का जीवन दिव्य प्रेम से परिपूर्ण हो।
*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग शोक नष्ट हो*

1 comment:

Dr. Reeta singh said...

अनुभव अच्छा लगे तो कमेंट्स भी लिख सकतेहैं।
सुधार, सुझाव भी ड् सकते हैं।