आज का सन्देश*
*10-06-2020 (बुधवार)*
*गुरुमुख से*
मन्त्रात्मक प्राणायाम बढ़ाइए
गुरु जी जल तत्व का मन से भी कोई जुड़ाव है क्या? शरीर रचना की न्यासयोग कक्षा में जल तत्व पर चर्चा के क्रम में हमने गुरुजी से जल और मन के संबन्ध को जानना चाहा।
शरीर रचना में मन को तो स्वयं एक तत्व माना गया है। आठ तत्वों के मेल से संपूर्ण शरीर बना है। आगे चलकर 26 तत्वों को बात आएगी। सभी एक दूसरे से घुलेमिले हैं।
उदाहरण के लिए भोजन निर्माण को देखिए। जब सब्जी बनाने की शुरुआत कर रहे होते हैं तो कई तत्वों का लेते हैं। विभिन्न सब्जी, मसाला, तेल, पानी आदि। सभी जब घुलमिल जाते हैं तो सब्जी का आकार लेते हैं। आकार ले लेने के बाद भी सभी का अपना स्वतन्त्र महत्त्व भी है और एक-दूसरे के साथ का भी महत्त्वहै।
बहुत ध्यान रखना है कि एक तत्व शरीर के सभी तत्वों को प्रभावित करता है। इसके साथ ही कोई एक तत्व प्रधान भी हो जाता है।
जल तत्व पर चर्चा करें तो यदि आपके शरीर में इसकी प्रधानता होगी तो आपका मन इसके गुणों के अनुकूल व्यवहार करेगा। आपके शरीर की प्रकृति जल तत्व के गुणों को प्रदर्शित करेगी।
जल तत्व के गुण क्या हैं?
शीतलता, संकुचन, गतिशीलता, धवलता आदि। यह चन्द्र प्रधान होता है।
इसके असंतुलन से शरीर में कफ की प्रवृति ज्यादा होगी। मन अस्थिर होगा। पंच प्राण के मूल प्राण तत्व को यह प्रभावित करता है, जिससे श्वास-प्रश्वास प्रभावित होती है। नासिका क्षेत्र प्रभावित होता है।
इस तत्व के सन्तुलन के लिए प्राणायाम अचूक दवा है। मन को स्थिर करता है। प्राण अपनी गति के साथ जल तत्व की गति को नियंत्रित कर लेता है।
आपलोगों को मन्त्रात्मक प्राणायाम बताया गया है। उसके अभ्यास से जल तत्व और मन को सुस्थिर कर सकते हैं।
मन्त्रात्मक प्राणायाम बढ़ाइए।
*दिव्य प्रेम प्रगट हो रोग-शोक नष्ट हो*
*डॉ रीता सिंह*
*न्यासयोग ग्रैंड मास्टर*
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