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Saturday 16 March 2013

अगर अपनी आँखों में आंसू भर लोगे

अगर अपनी आँखों में आंसू भर लोगे तो दुनिया धुन्धली दिखाई देगी।

हम सब जब तब शिकायत करते रहते हैं। पर कुछ तो हमेशा ही बिना किसी बात के ही शिकायत करते रहते हैं। वो जहाँ भी हैं अपनी जिन्दगी में, वो जो कुछ भी कर रहे हों या जो कुछ भी इनके साथ हो रहा हो वो हमेशा शिकायत ही करते हैं। ट्रेफिक बहुत बुरा है , मौसम बहुत गरम या ठंडा है। लोग बहुत कठोर हैं। नौकर बहुत आलसी है।और भी जैसे कोई मुझे समझता नहीं, कोई मेरी तारीफ नहीं करता। कोई नहीं जानता मेरे साथ क्या हो रहा है। कोई मेरी परवाह नहीं करता। कोई मेरी मदद नहीं करता।

जो हमेशा शिकायत ही करते रहते हैं वो अपनी जिम्मेदारी या अपने काम की जिम्मेदारी नहीं लेते। उनसे पुछो कि उनके लक्ष्य पुरे क्यों नहीं हुए तो वो कई बहाने बनाएँगे। उनकी उर्जा और दिमाग इतना केन्द्रित होता है दूसरों की बुराइयाँ निकलने में कि वो अपने लक्ष्य की ओर ध्यान नहीं लगा सकते।कितना थकन देने वाला और निरर्थक होते हैं इनकी लगातार शिकायतें। वो अपनी ही   ताकत और कार्य क्षमता को कम कर लेते हैं।

चलो इन चीजों पर ध्यान देना  बंद कर दें जो गलत है बल्कि उन चीजों पर ध्यान दें जो सही है।हम उनकी तरफ न देखें जो हमारे पास नहीं है बल्कि वो देखें जो हमारे पास है या हमारे लिए है।चलो वक्त निकालें तारीफ करने  के लिए लोगों की जो वो हैं न की सिर्फ उनकी बुराइयों पर ध्यान दें।

जब हम किसी को लगातार कोसते हैं या आलोचना करते हैं हम अपनी जिन्दगी में बुराइयों को आकर्षित करते हैं। जब भी हम कुछ बुरा सोचते हैं हम धीरे धीरे उसे मानने लग जाते हैं, और वो हमें सच लगता है या हम उसे सच बना देते हैं।हमारी कल्पना की गई बुराइयां सच होने लगती हैं। पर इसका उल्टा भी सच होता है। जब हम अच्छी  चीजों को मानते हैं हम बेहतर बनते हैं। जब हम सफलता की कल्पना करते हैं और अच्छाइयों की बातें करते हैं सफलता सच में सामने आने लगती है।

जब तुम ईश्वर या किसी को धन्यवाद देते हो तब तुम्हारा दिल बड़ा हो जाता है। उससे तुम्हारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। चिकित्सा अनुसन्धान बताता है की अच्छे भाव जैसे प्यार, कृतज्ञता हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते है और हमारे शरीर को बीमारियों  से बचाते हैं। हमारे मानसिक स्थिति का सीधा असर हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है।

अच्छे भावों जैसे कृतज्ञता और ख़ुशी  से होर्मोनेस निकलकर हमारे खून में मिलते  हैं जो हमारे शरीर के प्राकृतिक पेन किलर्स  हैं। हमारे खून की नालियों को फैलाते हैं और हमारे दिल की मांसपेशियों को राहत  देता है। तुम ताकतवर बनते हो।जबकि बुरे भावों जैसे गुस्सा, दुःख, कड़वाहट से बड़ी मात्रा में एड्रेनालाईन हमारे
खून में मिलता है, जिससे खून दिल में कम जाता है, सफ़ेद रक्त कोशिकाओं की रफ़्तार धीमी हो जाती है।
कृतज्ञता से अच्छे हारमोंस निकलते हैं जो बुरे हारमोंस निकलने नहीं देते  जिससे हम लम्बा और स्वस्थ्य जीवन जीते हैं।
जब तुम कृतज्ञता पर ध्यान देते हो तब तुम उन सभी चीजों पर ध्यान देते हो जो  तुम्हारी जिंदगी में अच्छी हैं, जिनसे ईश्वर उत्पन्न होते हैं। तुम अध्यात्मिक जनरेटर से जु ड़   जाते हो।अपनी परेशानियाँ देखोगे तो वो कई गुना बढ जाएंगी  और अपनी खुशियाँ गिनोगे तो वो भी ज्यादा बढेंगी और ज्यादा ख़ुशी देंगी। ज्यादा धन्यवाद देने वाले बनो न की शिकायत करने वाले, तब तुम्हारी परेशानियाँ सँभालने योग्य हो जाएंगी।
क्यों न अच्छी चीजों को अपनी जिंदगी में आमंत्रण दें।

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