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Friday, 20 September 2013

पूर्वजों के प्रति श्रधा अर्पित करने का दिन

आज से १५ दिन का पितृ पख प्रारंभ हो गया है।  यह पूर्वजों के प्रति श्रधा अर्पित करने का दिन है। इन दिनों अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण के माध्यम से किया जाता है।
हम सभी अपने पूर्वजों के ही पुण्य प्रताप से जीवन में आगे बढ़ते हैं। अत: हमारा कर्तव्य है कि हम अपने पूर्वजों को हमेशा सम्मान दें।  खासकर पितृ पख के इस पावन दिनों में उनका स्मरण कर उनसे आशीर्वाद लेना और उनके मुक्ति के लिए उनके उच्चतम अवस्था के लिए प्रार्थना करना हमारा धर्म है।
इसके लिए करना कुछ खास नहीं है।
बस प्रतिदिन कुछ क्षण के लिए अपने सभी पितरों का नाम श्रधा से लेना है और उन्हें सबकुछ के लिए धन्यवाद देना है।  इसके बाद उनसे सुखी भविष्य के लिए आशीर्वाद मांगना है।  अंत में ईश्वर से उनकी मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हुए ध्यान करना है कि वे मुक्त होकर अनंत आकाश में विलीन हो रहे है।  इसके बाद तीन बार बोलना है -  ॐ शांति  ॐ शांति  ॐ शांति।
                                            श्रधा अर्पित कर देखिए अदभुत ख़ुशी मिलेगी।
  

Monday, 16 September 2013

अपनी आन्तरिक शक्ति को पहचाने

तात्पर्य यह कि मार्ग दिखलाने वाले को हमेशा सावधान होना चाहिए। रामायण के उपरोक्त घटना में राम मार्गदर्शक  थे। किसी का अनुसरण करने से पूर्व  उन्हें सावधानी से स्थिति  को समझना चाहिए था।
                                      वास्तव में हनुमान ने अपने आत्मा  में बस रहे राम रुपि ईश्वरीय शक्ति से पत्थर को शक्तिशाली कर पानी में फेंका था, इसलिए वह  नहीं डूबा,  जबकि राम ने अहम् भाव से फेंका उन्होंने अपने नाम मात्र को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया उसमें निहित हनुमान के विश्वास की शक्ति को नजरअंदाज कर दिया फलत: उनके द्वारा फेंका पत्थर डूब गया।  
                                 प्रश्न यह कि  हम इस घटना से क्या सीखें ………………………………. क्रमश:


सबसे अव्वल बात भगवान राम ने हमारे सामने इस उदाहरण को रखा है तो वजह भी खास ही हमें ढूढनी चाहिए।            
               प्रथम   भगवान राम ने अपने उदाहरण के द्वारा हमें बताया कि अहम् हमारी शक्ति को नष्ट कर देती है।  इसलिए हमें हमेशा अपने अहम् को अपने ऊपर हाबी होने से रोकना है।        
                द्वितीय  हमें अपने आन्तरिक ईश्वरीय शक्ति को हनुमान की  तरह हमेशा याद रखना चाहिए। जिस तरह हनुमान हर पल राम  यानि अपने इश्वरिये शक्ति के साथ जुड़े रहते  थे हमें भी हर पल अपने ईश्वरीय शक्ति के साथ जुड़े रहना चाहिए ताकि हनुमान की तरह हम भी अपने हर लक्ष्य को सहजता से प्राप्त कर लें।           
                      तीसरा हम हर पल सजग रहें , किसी का अंधानुकरण ना करें।  राम ने हनुमान का अन्धानुकरण किया और असफल रहे।              
   अन्तत:  
                         अपनी ईश्वरीय शक्ति पहचानने और जगाने के लिए भक्त हनुमान की तरह अटूट विश्वास के साथ अपने ह्रदय में स्थित विश्वास की शक्ति के साथ जुड़ना जरूरी है।     

Saturday, 14 September 2013

रामायण की एक घटना .................श्रीमद भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण

 रामायण की एक घटना है - नदी में सेतु बनाने बाँधने की......................…………………………………
.................................................................................................................................   राम ने सोचा वाह मेरा नाम लिखा पत्थर जब नहीं डूब रहा है तो मेरे  स्वयं के  द्वारा   पत्थर  फेंकने  से  तो  वह निश्चित ही नहीं डूबेगा।  ऐसा सोचकर वे पत्थर पानी में फेंकने लगे , पर ये क्या? राम के द्वारा फेंके पत्थर डूब रहे थे?

प्रश्न - आखिर ऐसा क्यों हो रहा  था?……………………. क्रमश:

श्रीमद भगवतगीता में भगवान श्रीकृष्ण  ने कहा  है  कि
                                       " यदि ह्ग्हं  न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रित:।
                                         मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्या: पार्थ सर्वश:। । "

अर्थात
            यदि कदाचित मै सावधान होकर कर्मो में ना बरतूं तो बड़ी हानि  हो जाए क्योंकि मनुष्य सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं। 
                                         तात्पर्य यह कि मार्ग दिखलाने वाले को हमेशा सावधान होना चाहिए। रामायण के उपरोक्त घटना में राम मार्गदर्शक  थे। किसी का अनुसरण करने से पूर्व  उन्हें सावधानी से स्थिति  को समझना चाहिए था।
                                      वास्तव में हनुमान ने अपने आत्मा  में बस रहे राम रुपि ईश्वरीय शक्ति से पत्थर को शक्तिशाली कर पानी में फेंका था, इसलिए वह  नहीं डूबा,  जबकि राम ने अहम् भाव से फेंका उन्होंने अपने नाम मात्र को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया उसमें निहित हनुमान के विश्वास की शक्ति को नजरअंदाज कर दिया फलत: उनके द्वारा फेंका पत्थर डूब गया। 
                                 प्रश्न यह कि  हम इस घटना से क्या सीखें ………………………………. क्रमश:

Thursday, 12 September 2013

रामायण की एक घटना है - नदी में सेतु बनाने बाँधने की

 रामायण की एक घटना है - नदी में सेतु बनाने बाँधने की. लंका विजयी के लिए जाते समय जब रास्ते में मिले नदी पर सेतु बनाने की बात आई तो हनुमान ने राम लिखा पत्थर नदी में फेंकना प्रारंभ किया। पत्थर  पानी पर तैरने लगा और रास्ता तैयार होने लगा. राम को उत्सुकता हुई कि आखिर हनुमान द्वारा फेंका  पत्थर पानी पर  तैर कैसे रहा है? उन्होंने हनुमान से इसका राज पूछा।  हनुमान ने कहा मैं हर पत्थर पर आपका नाम लिखकर फेंक रहा हूँ और वह तैर रहा है।  राम ने सोचा वाह मेरा नाम लिखा पत्थर जब नहीं डूब रहा है तो मेरे  स्वयं के  द्वारा   पत्थर  फेंकने  से  तो  वह निश्चित ही नहीं डूबेगा।  ऐसा सोचकर वे पत्थर पानी में फेंकने लगे , पर ये क्या? राम के द्वारा फेंके पत्थर डूब रहे थे?

प्रश्न - आखिर ऐसा क्यों हो रहा  था?……………………. क्रमश: