तात्पर्य यह कि मार्ग दिखलाने वाले को हमेशा सावधान होना चाहिए। रामायण के उपरोक्त घटना में राम मार्गदर्शक थे। किसी का अनुसरण करने से पूर्व उन्हें सावधानी से स्थिति को समझना चाहिए था।
वास्तव में हनुमान ने अपने आत्मा में बस रहे राम रुपि ईश्वरीय शक्ति से पत्थर को शक्तिशाली कर पानी में फेंका था, इसलिए वह नहीं डूबा, जबकि राम ने अहम् भाव से फेंका उन्होंने अपने नाम मात्र को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया उसमें निहित हनुमान के विश्वास की शक्ति को नजरअंदाज कर दिया फलत: उनके द्वारा फेंका पत्थर डूब गया।
प्रश्न यह कि हम इस घटना से क्या सीखें ………………………………. क्रमश:
वास्तव में हनुमान ने अपने आत्मा में बस रहे राम रुपि ईश्वरीय शक्ति से पत्थर को शक्तिशाली कर पानी में फेंका था, इसलिए वह नहीं डूबा, जबकि राम ने अहम् भाव से फेंका उन्होंने अपने नाम मात्र को सर्वश्रेष्ठ समझ लिया उसमें निहित हनुमान के विश्वास की शक्ति को नजरअंदाज कर दिया फलत: उनके द्वारा फेंका पत्थर डूब गया।
प्रश्न यह कि हम इस घटना से क्या सीखें ………………………………. क्रमश:
सबसे अव्वल बात भगवान राम ने हमारे सामने इस उदाहरण को रखा है तो वजह भी खास ही हमें ढूढनी चाहिए।
प्रथम भगवान राम ने अपने उदाहरण के द्वारा हमें बताया कि अहम् हमारी शक्ति को नष्ट कर देती है। इसलिए हमें हमेशा अपने अहम् को अपने ऊपर हाबी होने से रोकना है।
द्वितीय हमें अपने आन्तरिक ईश्वरीय शक्ति को हनुमान की तरह हमेशा याद रखना चाहिए। जिस तरह हनुमान हर पल राम यानि अपने इश्वरिये शक्ति के साथ जुड़े रहते थे हमें भी हर पल अपने ईश्वरीय शक्ति के साथ जुड़े रहना चाहिए ताकि हनुमान की तरह हम भी अपने हर लक्ष्य को सहजता से प्राप्त कर लें।
तीसरा हम हर पल सजग रहें , किसी का अंधानुकरण ना करें। राम ने हनुमान का अन्धानुकरण किया और असफल रहे।
अन्तत:
अपनी ईश्वरीय शक्ति पहचानने और जगाने के लिए भक्त हनुमान की तरह अटूट विश्वास के साथ अपने ह्रदय में स्थित विश्वास की शक्ति के साथ जुड़ना जरूरी है।
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