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Saturday, 2 May 2020

क्षमा प्रार्थना

अपनी आत्मग्लानि से छुटकारा और दूसरों के कर्मफल के संचय से बचाव का एकमात्र उपाय है - *क्षमा प्रार्थना*

अपना विचार दें और साथ ही अपने मन में उठ रहे एक सवाल को लिखें। 


39 comments:

Unknown said...

Isme dusre ke karmfal ka sanchay hamare andar kyun aur kaise hote hai?

Unknown said...

क्लास अच्छा लगा।

Abc said...

Forgiveness is the only tool to lighten the self for a onward spritual journey. This is the unseen and suble element which is preserved in our subconscious mind and keeps eroding the self by pulling us back in pain of its subtle memory.

Abc said...

As on now, my question is earlier I use to feel a very warm energy flow. Today, I my hands were warm but I was feeling a very soothing cool flow of energy, what does this mean?

Priya said...

क्षमा करने के बाद भी कभी कभी हमे वस्तु परिस्थिति और व्यक्ति पे क्रोध भाव उत्पन्न होता है। ऐसी स्थिति में हमे क्या करना चाहिए??

आज का क्लास काफी अच्छा लगा।। धन्यवाद बहुत बहुत।।

Priya said...

A32

Unknown said...

Mai khud kshma prathna kr leti hu, pr dusre jo anavshyak rup se ham pr krodhit rahte hai,unk vyavahaar me badlab kaise hoga?

Unknown said...

A34

Unknown said...

A67-आज की कक्षा अन्य सभी दिनों की कक्षा की भाँति बहुत ज्यादा अच्छा लगा।क्योंकि मैंने श्वेत प्रकाश के साथ ऊर्जा की शक्ति को अच्छे से देखा और महसूस किया।

कभी-कभी ध्यान के समय शरीर से मैं कहाँ हूँ?पता ही नहीं चलता, ऐसा क्यों?

Unknown said...

A--33 संगीता पालीवाल

आज के सत्र के लिए मेरा विचार - आज की क्लास बहुत ही उत्साह वर्धक और सकारात्मक ऊर्जा से लबालब थी। क्षमा प्रार्थना सत्र और क्षमा मंत्र बहुत सही और कारगर लगा। अभी दोपहर तक क्षमा मंत्र के जाप का रिजल्ट मै देख चुकी हूं बाकी पूरे दिन का अनुभव जरूर शेयर करूंगी ।

मेरा प्रश्न -- चक्र जागरण द्वारा सुरक्षा कवच हमने बनाया था वो क्रिया हम दिन में कितनी बार और कितने लोगों के लिए कर सकते है। खुद के लिए भी दिन में कितनी बार करना चाहिए ??
इस क्रिया को करने का क्या कोई निश्चित समय है??

Rashmi kumari said...

A१३ Rashmi kumari ३ may २०२० १२.४४
सुबह से लेकर रात तक प्रधानमंत्री कि तरह भाषण देना।बातों को अनसुना करने पर चीखना क्रोध काबू कैसे हो?
हाथों में गर्मी महसूस होने लगा पूरे बॉडी में गर्मी महसूस हुई
आपकी उर्जा मुझे महसूस हुई लगा कि आप मेरे पास है। शांति महसूस हुआ है लेकिन बाद में थोड़ा कान और गर्दन के बीच में थोड़ा दर्द हुआ
धन्यवाद

Unknown said...

Divya chama pratak ho ,rog shok nasth ho k dwara.

Rashmi kumari said...

Aaj ka class bahut achcha hua. man Ko Shanti Mili .energy sakshat dekha .is tarah ke classes se Guru ki energy bhi milati hai jisse ham log hill Ho te hai
Thanks

Unknown said...

Aj ki class daily se bhi acchi esliye lgi kyuki aj hm sbhi ne practical kiya or guru ji n instructions bahut acchy se diye.

Unknown said...

A28 Hm durso ko easy way m maaf kyu nhi kr paty ?

Dr. Reeta singh said...

एक बहुत अच्छी बोधकथा है।
एक राजा कुछ सन्यासियों के लिए भोजन बनवा रहे थे। रसोइया खुले में साफ-सफाई से भोजन तैयार कर रहा था। सभी आनन्द में थे। उसी समय ऊपर एक गिद्ध एक सर्प को चोंच में दबाए वहां से गुजरा। सिर्फ स्वयं को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था। ठीक भोजन के बर्तन के पास आकर वह गिद्ध के मुख से छूट गया और भोजन में मिल गया। इस घटना को किसी ने नहीं देखा।
नियत समय पर सन्यासी खाने बैठे और जहरीले भोजन को खाकर मृत्यु को प्राप्त हुए।
अब ईश्वर के सामने बड़ा सवाल खड़ा हुआ कि इस घटना का कर्मफल किसे मिलेगा?
राजा और रसोइया को नहीं मिल सकता क्योंकि उन्होंने कोई षड्यंत्र नहीं किया था। गिद्ध भी अपना आहार लें जा रहा था। सर्प भी बचाव कर रहा था।
ईश्वरीय प्रशासन बड़ी चिंता में था, क्योंकि हर कर्म का फल किसी न किसी को भोगना ही है, यह सांसारिक चक्र का नियम है।
तभी एक दिन एक सन्यासी राजा का पता पूछते शहर में आया। एक बूढ़ी स्त्री उधर से गुजर रही थी। उसने सन्यासी को राजा का पता बता दिया, पर साथ ही बोली, ध्यान से जाना राजा सन्यासियों को खाना में जहर खिला देता हूं।
बस ईशवरीय प्रशासन को समाधान मिल गया। इस सारी घटना का कर्मफल उस बूढ़ी स्त्री के हिस्से में डाल दिया गया।
कुछ दरबारी ने पूछा, आखिर क्यों? घटना के समय वह स्त्री थी नहीं, उसकी कोई हिस्सेदारी नहीं, फिर कर्मफल उसको क्यों?
क्योंकि उसने इस घटना का पोषण किया। उसके मष्तिष्क में,विचार में यह घटना जीवित रही। उसने जीवित रखा, उसमें प्राण डाला तो कर्मफल उसे ही भोगना पड़ेगा।
यह सिर्फ बोधकथा नहीं है, जबाब है उपरोक्त प्रश्न का कि दूसरे के कर्म का पोषण हम करेंगे तो फल भी हमें ही मिलेगा।

Dr. Reeta singh said...

सादर आभार
अभ्यास जारी रहे।

Dr Arti kumari said...
This comment has been removed by the author.
Dr Arti kumari said...

A5/2020
जी, यह सही है कि क्षमा मांगने और क्षमा करने से मन हल्का और शुद्ध होता है, सारे नकारात्मक भाव बाहर निकलते हैं। क्षमा मन्त्र के अभ्यास द्वारा हम किसी व्यक्ति, वस्तु परिस्थिति से क्षमा मांगने में संकोच नही कर पाएंगे। कई बार हमारे अवचेतन मन मे पुरानी कड़वी बाते राह जाती है, जो हमे राह राह के क्रोध, नफरत, द्वेष पैदा करती हैं। इस अभ्यास से धीरे धीरे ये सारे भाव डोर होंगे, ऐसा विश्वास है।
आज का क्लास बहुत अच्छा लगा। उस ऊर्जा को महसूस करना बहुत ही आनंददायक था। गुरु बिन यह संभव न था। आपकी कृतज्ञ हूँ।🙏
दिव्य प्रेम प्रकट हो, रोग शोक नष्ट हो🙏

प्रश्न- हम क्षमा कर भी देते हैं तो सामने वाला उसका मूल्य नही समझ पाता और हमारे लिए वैसे ही भाव रखता है। सामने वाला का हृदय परिवर्तन कैसे हो या उसे अपनी गलती का एहसास कैसे हो पायेगा?

Dr. Reeta singh said...

एनर्जी को लेकर सभी के अपने अलग-अलग अनुभव होते हैं। हर अनुभव सही है। ध्यान के समय मन स्थिर हो जाता है तो ऐसे स्थिर एनर्जी का अनुभव होता है। हथेली में हल्की गर्मी हिलींग के लिए अच्छी है।

Dr. Reeta singh said...

क्षमा करने बाद भी ऐसी स्थिति आती है तो हम समझे कि क्षमा करने का हमें भ्रम हुआ है। हमारे भीतर से वह भाव समाप्त नहीं हुआ है।
सतर्क हो जाएं और अभ्यास बढ़ाएं।

Dr Arti kumari said...

बहुत ही सुंदर प्रेरक कथा। गुरुमुख से निकली वाणी से उत्तर स्वयम मिल जाते हैं और मन मे उठ रहे प्रश्न का समाधान भी। 🙏

Dr. Reeta singh said...

आप आभ्यास जारी रखें, उनमें स्वतः बदलाव होगा।

Dr. Reeta singh said...

ध्यान की गहराई में ऐसा होना स्वभाविक है।
अच्छा है।

Dr. Reeta singh said...

हम सुरक्षा कवच दिन में दो बार बनाएं।
दूसरे को हम जितने लोगों को चाहें, उतने को दे सकते हैं,बस ध्यान रखें कि सभी को अलग-अलग दें।
किसी भी समय कर सकते हैं।

Dr. Reeta singh said...

दिव्य क्षमा का अधिक से अधिक जप करें।

Dr. Reeta singh said...

सही बात

Dr. Reeta singh said...

धन्यवाद

Dr. Reeta singh said...

हम जब तक सामने वाली के प्रतिक्रिया के मोहताज रहेंगे, कभी कुछ नहीं सुधरेगा।
हम अपने आनन्द को देखे। क्षमा करके खुशी मिल रही है, तो सार्थक अभ्यास है।
नहीं मिल रही, तो अभ्यस बढ़ाएं।

Dr. Reeta singh said...

धन्यवाद

Dr. Reeta singh said...

हम गलत-सही के तर्कों में उलझे रहते हैं। उनके तरों को किनारे कर अभ्यास करें, निश्चित क्षमा का आनन्द महसूस होगा।

Dr. Reeta singh said...

आप सभी प्रतिभागियों का सादर अभिनन्दन।
आज के अभ्यास के सुंदर अनुभव के लिए धन्यवाद।
सभी प्रश्न वर्तमान के जीवंत प्रश्न हैं।
आभार।

Anita, GPYG KOLKATA said...

A1
बहुत धन्यवाद दी। आनंद आ गया। क्षमा जब अंतःकरण से कर पाते हैं बगैर कोई विचार रखे तो ही कारगर है। यह मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं । जब दिव्य प्रेम प्रगट हो जाता है तो सब कुछ संभव कर देता है।

Anita, GPYG KOLKATA said...

A1
बहुत धन्यवाद दी। आनंद आ गया। क्षमा जब अंतःकरण से कर पाते हैं बगैर कोई विचार रखे तो ही कारगर है। यह मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं । जब दिव्य प्रेम प्रगट हो जाता है तो सब कुछ संभव कर देता है।

Anita, GPYG KOLKATA said...

A1
बहुत धन्यवाद दी। आनंद आ गया। क्षमा जब अंतःकरण से कर पाते हैं बगैर कोई विचार रखे तो ही कारगर है। यह मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं । जब दिव्य प्रेम प्रगट हो जाता है तो सब कुछ संभव कर देता है।

Dr. Reeta singh said...

जी दीदी।
आनन्द के लिए अपने अंदर ही प्रवेश करना होगा।

Rahul Kumar said...

A14-class bahut achha tha mujhe bahut achha laga

Dr. Reeta singh said...

धन्यवाद

Dr. Reeta singh said...

बहुत अच्छा राहुल जी
आपके प्रश्नोत्तर बहुत अच्छे होते हैं।
अभ्यास जारी रहे।