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Friday 22 May 2020

Science of Spiritual Symbols

*आज का न्यास सन्देश*
22-05-2020
गुरुमुख से

गुरुजी , मुझे यह यंत्र का विज्ञान समझ नहीं आता है। जब अपने औरा की ऊर्जा से हम एनर्जी बाउल बनाकर सुरक्षा घेरा बना ही लेते हैं। उसी ऊर्जा से चक्रों का सन्तुलन, दूसरे को हिलींग देना, सब काम आसानी से हो जाता है, तब यह विभिन्न तरह के यंत्रों की क्या जरूरत है?
गुरुजी हमेशा की तरह मुस्कुराए। उनकी स्मित मुस्कान से  अपना ही प्रश्न निरर्थक लगने लगता है। उनके मुस्कान से विषय-वस्तु की सार्थकता सामने आ जाती है।
गुरुजी मधुर वाणी में बोले, *ठीक है फिर मैं न्यासयोग से सभी यंत्रों को हटा देता हूँ। क्यों कष्ट हो आपलोगों। कीजिए ऊर्जा का अभ्यास।*
हम तो समझ भी नहीं पाते कि कब गुरुजी मुस्काते हुए हमपर कोड़े बरसा देंगे। वह भी ऐसा कोड़ा, जो दिखे भी नहीं।
अभी भी अप्रत्यक्ष कोड़े की मार से हम तिलमिला उठे, पर कह कुछ नहीं सकते हैं। अंदर ही पीड़ा को पी जाना है। सवाल ही अटपटा करेंगे, तो जबाब भी अटपटा मिलेगा।
हम मौन रह गए।
गुरुजी ने कहना प्रारम्भ किया।
यंत्र, शब्द-संकल्प का शरीर होता है। आप अपने अचेतन मन में जिस अवधारणा को स्थापित करना चाहते हैं, यंत्र के माध्यम से सहजता से स्थापित कर सकते हैं।
यंत्र मानव के अचेतन मन से संपर्क बनाता है। फिर उसका शोधन करता है। नई ऊर्जा की स्थापना करता है।
कोई भी आध्यात्मिक यंत्र एक व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, धन और समृद्धि लाता है। यंत्र का नियमित अभ्यास व्यक्ति के दिमाग को शांत करता है और मानसिक स्थिरता लाता है। यदि  यंत्र के प्रत्येक तत्व पर ध्यान दिया जाए तो यह हमें शरीर के स्थूल, सूक्ष्म और कारण स्वरूप से संपर्क कराता है।
कारण शरीर यानी ऊर्जा शरीर से संपर्क बनते ही हम आध्यत्मिक चिकित्सा की पहली सीढ़ी पार कर लेते हैं।
प्रत्येक यंत्र का यह सामान्य कार्य है।
इसके अलावा सभी यंत्रों के अपने विशिष्ट कार्य भी होते हैं। कार्य की उच्चतम सफलता के लिए यंत्रों का प्रयोग आवश्यक है।
गुरुवाणी से हमारा चित्त स्थिर हुआ। महसूस हुआ कि यंत्र को समझने के लिए किया गया हमारा प्रश्न सार्थक था।
गुरु कृपा ही केवलम।

*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग-शोक नष्ट हो।*
*डॉ रीता सिंह*
*न्यासयोग ग्रैंड मास्टर*

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