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Saturday, 8 December 2012

सांतवा घड़ा कभी नहीं भरता

एक बार एक भक्त ने रामकृष्ण परमहंस से पूछा - हमारे जीवन में कभी कोई कमी न रहे इसका क्या उपाय है ?
 रामकृष्ण परमहंस ने एक कहानी सुनाई - एक गाव में एक बरगद का पेड़  था।  उस पेड़ के पास से जो गुजरता  था उसे उस पेड़ से आवाज़ सुनाई पड़ती कि मेरे जड़ में सात घड़े सोने से भरे है इसे साथ ले जाओ।  लोग सुनते और डर कर भाग जाते।  एक दिन एक हज्जाम उस रास्ते से गुजरा।  उसे लालच आ गया।
 वह रात में आया और कुदाल से उस जगह को खोदा उसे सात घड़े मिले . वह उसे घर ले आया . उसने घड़ा खोलकर देखा सभी घड़े जेवर से मुँह तक भरे हुए थे . पर सातवा घड़ा थोडा खाली था . हज्जाम उसे भरने की सोचने लगा . किसी से कह भी नहीं सकता था। धीरे धीरे वह दुबला होने लगा। वह राजा  का हज्जाम  था। राजा ने देखा कि  हज्जाम  दिन  पर दिन  दुबला होता जा रहा है। तब एक दिन  राजा ने उससे कारण  पूछा। हज्जाम  को तो बताना था नहीं उसने कहा कुछ  नहीं  हुआ  है। राजा समझ  गया। राजा ने कहा - कही बरगद पेड़ का सात घडा तो नहीं  उठा लाये।
हज्जाम ने हामी भरी। राजा ने कहा उसे मैंने भी लाया था।  जिन्दा रहना चाहते हो तो वापस रख आओ। क्योंकि  सांतवा घड़ा कभी नहीं भरता।
जीवन का यही सत्य है इसे जितनी जल्दी समझ लो उतनी जल्दी जीवन को जीना सीख जाओगे।
   भक्त ने पुनः पूछा - हमारे जीवन में कभी कोई कमी का अहसास  न हो  इसका क्या उपाय है ?
 इसका उपाय है  रामकृष्ण परमहंस ने कहा। स्वयं को पहचानो। स्वयं में इश्वर को जानो। तुम्हारे अंग अंग में इश्वर है उसे जगाओ और तब तुम पूर्णता के अहसास से भर जाओगे। कोई कमी नहीं रहेगी तुम्हारे जीवन में।

हमारा न्यास योग भी यही कहता है  अपने  अंग अंग के  ईश्वर को  जगाओ और तब तुम पूर्णता के अहसास से भर जाओगे।


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