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Sunday, 9 December 2012

उपासना में भावना का महत्त्व

उपासना में भावना का बहुत महत्त्व है। ईश्वर को किसी चीज की कमी नहीं है, जो उन्हें हम दे सकते है। वास्तव में हम जो कुछ भी उन्हें अर्पित करते हैं वे हमारी भावनाओ का ही प्रतिरूप होता है। भावों के पुष्प से ही वे प्रसन्न होते हैं। 

जो मानव स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर कोई कार्य करता है और फल के प्रति अनासक्त रहता है उनके सारे कार्य स्वयं ही उपासना बन जाते हैं।  उपासना की शक्ति ही मानव को सर्वत्र जीत हासिल करवा सकती है। परन्तु यह तभी संभव है जब उपासना में विश्वास और श्रद्धा हो। पूर्ण  विश्वास और श्रद्धा ही उपासना का मेरुदंड है। सफलता का दूसरा नाम है। 
                                 न्यास योग उपासना के इसी मेरुदंड को स्वयं में स्थापित करने की तकनीक बताती है। 

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