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Friday, 21 May 2021
Nyas Yog Experience by Malini Menon from Kochi, Kerala .
Thursday, 10 December 2020
न्यासयोग ऊर्जा बिम्ब अभ्यास अनुभव
सेकेंड सेमेस्टर, दिसम्बर, 2020
1. ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के अनुभव बताएं।
Sangeeta Paliwal:
P47
ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के मेरे अनुभव -
* हमारी प्रशिक्षिका रीता दीदी ने सर्वप्रथम जब हमें ऊर्जा बिम्ब बनाना बताया तब कुछ समझ आया पर कुछ खास अनुभव नहीं हुआ।
*प्रथम प्रक्रिया रविवार क्लास की चारों चक्रों के साथ हाथों पर ब्रह्ममांड की दिव्य ऊर्जा को लाना बहुत सुंदर और अलग अनुभव था।
* उसके बाद की क्लास में इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए दीदी ने एक - एक चक्र को विस्तार से बताते हुए हमें हमारी ही दिव्य , सकारात्मक ऊर्जा से जब मिलवाया तब उस पूरे दिन मुझे मेरा अंदर का शरीर सफेद प्रकाश से रोशन हुआ महसूस हुआ।
* ऊर्जा बिम्ब प्रक्रिया बहुत ऊर्जावान और सुरक्षात्मक लगती है । वैसे तो ये ये प्रक्रिया हर एक प्रक्रिया से पहले आवश्यक प्रक्रिया है अवश्य करनी होती है । परन्तु मैं कई बार सिर्फ ऊर्जा बिम्ब अभ्यास ही करती हूं । मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है।
* रीता दीदी ने ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के साथ दो मंत्र भी दिए थे । जो इस अभ्यास के साथ दोनों मंत्रों का जाप करना मुझे एक अलग दुनिया में ले जा चुका है । जो मै खुद और मेरे परिवार के सदस्य मेरे अंदर उस सकारात्मक भाव और बदलाव के प्रत्यक्ष गवाह हैं ।
* मै ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के साथ बहुत खुश , स्वस्थ, प्रसन्न, सकारात्मक, संतुष्ट हूं और हमेशा रहूंगी।
धन्यवाद हमारे पूज्य गुरुदेव डॉक्टर बी पी साही जी को और हमारी प्यारी प्रशिक्षिका डॉ रीता सिंह दीदी को।
धन्यवाद 🙏
Kanchan bhalotia:
P21
शुभ न्यास दिवस🙏
प्रश्न : ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के अनुभव बताएं?
उत्तर: ऊर्जा बिम्ब या जिसे हम एनर्जी बॉल भी कहते है का मेरा पर्सनल अनुभव बहुत ही चमत्कारी है। मानो जैसे कोई अधूरी ऊर्जा को कनेक्शन मिल गया हो।
ऊर्जा बिम्ब से अब मैं आपने अपको बहुत प्रोटेक्टेड महसूस करती हूं। किसी को भी हीलिंग देने से पहले मेरी तबिया नासाज हो जाती थी, अब ऐसा कुछ भी नहीं होता।
ऊर्जा बिम्ब का कॉम्बिनेशन दिव्य प्रेम के मंत्र के साथ मेरे लिए मानो अब जीने का आधार बन गया है। कुछ भी विचार आने से अब मन नहीं घबराता, अब जैसे मेरे पास बहुत ही सहज और सरल औजार मिल गया हो। हर व्यक्ति वस्तु और परिस्थिति को बस एनर्जी बॉल में डाल कर हम कुछ भी सकारात्मक ऊर्जा को बढाने में सक्षम हो गए है।
कृतज्ञ हूं Dr. रीता दीदी और हमारे Dr. B.P Sahi जी का🙏, उनके आशीर्वाद और प्यार के बिना यह संभव नहीं हो पाता🌺
आप सबका प्यार और आशीर्वाद बना रहे।🙏
Padma Hiraskar:
ऊर्जा बिंब का मेरा अनुभव:
शुरू शुरू में जब ऊर्जा बिंब बनाते थे तो हमें अपनी उर्जा का एहसास नहीं होता था। लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास करते करते अब ऊर्जा बिंब के बारे में जस्ट सोचते हैं तो ही ऊर्जा अपने आप प्रस्तुत हो जाती है और दोनों हाथों में झनझनाहट सनसनाहट हल्का भारी महसूस होता है ।
अब तो अपनी हर समस्या चाहे वह व्यक्ति वस्तु परिस्थिति की ही क्यों ना हो- को हम ऊर्जा बिंब में डालकर - उसे दिव्य प्रेम और दिव्य क्षमा से अभिमंत्रित करके सारी नकारात्मकता को सकारात्मकता में परिवर्तित करते जा रहे हैं ।
यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा चमत्कार ही है। और अब हमें किसी भी नकारात्मकता से भय नहीं लगता । अब सब कुछ अपने हाथों में ही है। सारी दुनिया जैसे हमारे हाथों में ही समा गई है- इस ऊर्जा बिंब के रूप में।
बहुत-बहुत धन्यवाद हमारे पूज्य गुरुदेव डॉक्टर बी पी साही जी को और हमारी प्यारी प्रशिक्षिका डॉ रीता सिंह दीदी को जो हमें हमारी अपनी ऊर्जा से जोड़ दिया।
Gayatri hiraskar:
P14
पहले ऊर्जा महसूस करने में दिक्कत होती थी अभी ऊर्जा बिंब बनाने से पहले ही ऊर्जा महसूस होती है हाथों में|
व्यक्ति वस्तु परिस्थिति को हम ऊर्जा बिंब में डाल कर निश्चिंत हो जाते हैं कोई भी परेशानी बड़ी नहीं लगती, सारे कार्य सफल हो जाएंगे इसका पूरा भरोसा है |
ऊर्जा बिंब बनाकर अपने आपको घेर लेने के बाद कोई नकारात्मक भाव मन में नहीं आता
मन शांत और सकारात्मक हो जाता है|
दूसरों को भी ऊर्जा बिंब में डालने के बाद उर्जा काम कर रही है इसका अनुभव हुआ है।
उनके रोग और शोक जल्दी ही दूर हो गए |
Rashmi Kumari:
P४१
ऊर्जा बिम्ब सुरक्षा घेरा का प्रतीक चिन्ह है।
जहां तक अनुभव की बात है।जीवन का पहला अनुभव था शरीर में कंपन महसूस किया चिटी की तरह रेगने जैसा सहस्त्रार चक्र एवम् आज्ञा चक्र पर महसूस किया।लगातार ऊर्जा बिम्ब बनाने से विचार विमर्श सकारात्मक बने। हर बात के प्रतिक्रियात्मक स्वरूप खत्म हो गए।सुरक्षा घेरा का अहसास दिव्य प्रेम दिव्य क्षमा मंत्र के साथ दस वाक्य का अभ्यास विचार रूपी विष को पीकर अमृत का सोपान करा दिया एवम् हमारे संकल्प सिद्ध हो गए। जीवन की कल्पनासकरामक रूप से कार्य करने लगी। जैसे सोचेंगे।
वैसा पाएंगे ये सिद्ध हो गया।ऊर्जा बिम्ब का यही अनुभव रहा।
Rohini Gawali
पहले कूछ दिनोंमें ऊर्जा महसूस नहीं होती थी, पर प्रक्रियाअच्छी लगती थी ।
जब daily भाव से करने लगी तो सूरक्षित महसूस करती हूँ, ऊर्जा को महसूस करतीं हूँ ।सकारात्मक भाव बढ़ रहे हैं । मन शांत हो जाता है । मानसिक बदलाव के दस वाक्य से बदलाव आ रहा है । मन की उदासी कम हो रही है । दीदी आपने हमें स्वयं की ऊर्जा से परिचित कराने के लिए ।
Awadhesh Narain Verma:
P6
प्रारंभ में ऊर्जा बिम्ब का अनुभव कुछ खास नहीं होता था पर धीरे-धीरे जैसे अभ्यास बढ़ता गया वैसे ऊर्जा बिम्ब के बारे में सोचने से ही हाथों में सनसनाहट के साथ ऊर्जा का आभास होने लगता है और अब इस ऊर्जा बिम्ब का प्रयोग किसी भी तरह के नकारात्मक विचारों को अपने अंदर आने से बचाने के लिए कर लेता हूं । जब भी अपने को ऊर्जा बिम्ब के सुरक्षा घेरे में डाल लेते हैं तो पूरी निश्चिंतता हो जाती है।
Anuradha rani:
P1 🙏
Actually from the beginning I didn't observe the benefits of energy ball. But some days back may be one week back Reeta mam told " If any body disturbs you , put them in the energy ball and give Nyasa Mantra energy to them " . I started doing this on that day. From that day, I had no much disturbance . Today I have no time to do that because of some other work. Really I forgot that. So today volcano bursts and every one faced that hot lava and hot waves. Ofcourse, with in 5 minutes it is cool down. Then I remembered that I forgot to do that energy ball process. Now I completely understand the value of Energy ball and the importance of Energy ball. From now, I will never forget to use Energy ball.
Thank you mam for getting this wonderful technology from you . Namaskarams to Dr. B. P. Sahi hi. 🙏🙏🙏
Rahul Verma:
P44
ऊर्जा बिंब का मेरा अनुभव-
शुरू शुरू में मैंने अपनी पत्नी को उर्जा बिंब बनाते देखता था उस समय मैं न्यास योग से नहीं जुड़ा था। फिर उसके बाद मैं भी अपनी पत्नी के साथ न्यास योग का क्लास करने लगा। पहले ऊर्जा बिंब बनाते वक्त हमें ऊर्जा का अनुभव नहीं होता था। परंतु जब हमारी पर शिक्षिका माननीय डॉक्टर रीता सिंह ने इनीशिएट किया तब धीरे-धीरे मुझे अपने हाथों में भारीपन महसूस होने लगा उसके बाद सफेद प्रकाश की उर्जा को मैंने स्पष्ट महसूस किया। इसके बाद मैंने सेकंड बैच को ज्वाइन किया और रेगुलर क्लास किया। मुझे अब कभी भी समस्या आती है तो उसे उर्जा बिंब में डालकर दिव्य प्रेम और दिव्य क्षमा मंत्र से अभिमंत्रित कर लेता हूं और मेरी समस्या का निदान हो जाता है। अब मैं किसी भी चैलेंज को पॉजिटिवली लेता हूं।
यह सब माननीय डॉक्टर बीपी साहीजी एवं डॉक्टर रीता दीदी के कारण संभव हुआ है।🙏🙏
laxmi shukla:
P24
शुभ न्यास संध्या
1. ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के दौरान का अनुभव-
क. ऊर्जा बिम्ब बनाने के लिए ऊर्जा को सहस्त्रार्थ चक्र से जब लेते हैं तो ऐसा लगता है कि मानो पूरे शरीर में एक करंट सा दौड़ गया हो और महसूस होता है कि असीम शक्ति के साथ मेरा कनेक्शन जुड़ गया।
ख. ऊर्जा जब हथेलियों में आती है तो भारीपन, गर्माहट और झनझनाहट सी महसूस होती है, साथ ही अद्भुत आनन्द भी मिलता है।
ग. दोनों हथेलियों का एक दूसरे के प्रति खिचाव का महसूस होना। जैसे एक दूसरे की ऊर्जा एक दूसरे को आकर्षित कर रही हो।
इस सब के अतिरिक्त अभिमंत्रित ऊर्जा बिम्ब से जब स्वयं को घेरते हैं तो सच मे ऐसा लगता है कि मैंने अपने आप को सुरक्षा कवच पहना दिया। अब हम सुरक्षित हैं यह अहसास होता है।
Sudha chauhan:
P52
ऊर्जा बिम्ब का मेरा जो अनुभव है वो बहुत ही अचम्भा करने वाला हैं रोज के ऊर्जा उपचार से मेरा कभी ना ख़तम होने वाला रोग ख़तम हो गया ब्लड प्रेस नार्मल हो गया केलेस्ट्रॉल ख़तम हो गया आत्म बिस्वास बढ़ा हैं घर के माहौल में शांति है। न्यास योग ऊर्जा उपचार मेरे जीवन को बहुत हद तक बेहतर बना दिया।
nilu singh Sabalpur
उत्तर-प्रत्येक दिन के अभ्यास से ही ऊर्जा बिम्ब के द्वारा स्वयं के साथ साथ दूसरों को भी सकारात्मक ऊर्जा के साथ हर पल सुरक्षित रखने का अनुभव महसूस होता है। ऊर्जा बिम्ब अभ्यास का अनुभव मेरे लिए और भीबहुत ही ज्यादा आनंददायी है।जिसमें मुझे यानि स्वयं को गुरू अर्थात् आपके सान्निध्य में आकर अपने आप को आपकी ऊर्जा से वशीभूत होकर परम आनंद एवं श्वेत प्रकाश की दिव्य ज्ञान का अनुभव होता है।साथ ही गुरू कृपा एवं परमपिता परमेश्वर की कृपा से संकल्प अनुरूप फल प्राप्ति का अनुभव मेरे लिए बहुत बड़ा है।जिसे मैं प्रत्येक दिन और रात में करती हूँ।साथ ही मैं इस विधा से सभी को जोड़ने का प्रयासहर पल करती रहती हूँ ताकि मेरी ही भांति वो भी अपने जीवन में आनंद ही आनंद का अनुभव हर क्षण प्राप्त करते रहें।🙏🙏🙏
Mamta sharma:
P 27
पहली बार जब हमने अपनी रीता दी से ऊर्जा बिम्ब को सीखा तो कुछ भी अनुभव नहीं हुआ। पर हम धीरे - धीरे ऊर्जा बिम्ब का अभ्यास रीता दी के संरक्षण में करने लगे तो बहुत ही सुन्दर अनुभूति होने लगी।हमे हमारी खुद की ऊर्जा का ज्ञान होने लगा हम धीरे - धीरे सकारात्मकता की और बढ़ने लगे ।जब हम बिम्ब के द्वारा अपना कवच बनाने लगे तो मानो हम सभी समस्याओं का समाधान भी करने लगे। कई सारी बातें मेरी समस्या तो इतनी आसानी से सुलझती गई मानो ये कभी थी ही नहीं।मेरे अंदर प्रसन्नता बढ़ी,संतुष्टि बढ़ी है।सच में ऊर्जा बिम्ब मेरी जिंदगी को ही बदल कर रख दिया।
Alka Kiran:
P2
ऊर्जा बिम्ब का मेरा अनुभव:
ऊर्जा बिम्ब का अनुभव मेरे लिए बहुत ही चमत्कारी रहा । मैं पहले बहुत सारी चीजों से भय महसूस करती थी । वो सारी चीजें मन से समाप्त हो गयी । आत्मविश्वास आ गया । खुद को प्रोटेक्टेड महसुस करती हूं
Jyoti Sinha:
P18
ऊर्जा बिम्ब की अनुभूति दिन प्रतिदिन अच्छी होती गई।शुरू में हाथो में कम्पन ठंडा गरम बहुत अच्छी रही ।धीरे धीरे इस ऊर्जा की अनुभूति सहस्त्रार चक्र से व्हाइट लाइट का अनुभव एक मानसिक शांति प्रदान करने लगा।ऊर्जा बिम्ब बनाने से अपने को सुरक्षित महसूस करने लगी।बिम्ब बनाने के बाद असीम आनंद का अनुभव होने लगा।उसके बाद मै मैंने सोचा मुझे इतना अच्छा लग रहा है तो बच्चो को भी ऊर्जा बिम्ब मै सुरक्षित करने लगी।एक मेरा अनुभव है मै नित्य यज्ञ करती हूं तो दिव्य प्रेम मंत्र और दिव्य क्षमा मंत्र से आहुति देती हूं ।पूजा करने जब बैठती हूं तब ऊर्जा बिम्ब बनाती हूं समय ऊर्जा बिम्ब की अनुभूति बहुत अच्छी होती है।वैसे दिन में कई बार करती हूं । किसी काम के लिए बाहर निकलती हूं तब ऊर्जा बिम्ब जरूर बनाती हूं। सकारात्मक और ऊर्जा वान रहती हूं।मानसिक रूप से जब अशांत होती हूं तब भी करती हूं मन शांत हो जाता है।
धन्यवाद रीता दीदी समय समय पर मार्गदर्शन और इतनी अच्छी प्रक्रिया से जोड़ने के लिए।🙏
Seema Jha:
P62
पहली बार जब ऊर्जा बिम्ब का अनुभव चमत्कार की तरंह लगा । ऊर्जा का अनुभव अपने हाथों में लेकर शरीर को घेरने के साथ ही , सिहरन और हल्के होने के एहसास ,के साथ थोड़ी सी खुशी भी हुई।मन में पहला ख्याल आया कि इसका प्रयोग अपने पेशेंट पर तो करना ही है।
Smita Supriti:
B51
ऊर्जा बिम्ब अभ्यास जब सर्वप्रथम हमें रीता दी ने सिखाया उस दिन मुझे कुछ अलग सा महसूस हुआ,परंतु क्या हुआ ये समझ से परे था।बस लगा मैं एक सुरक्षा के घेरे में हूँ।
ऊर्जा बिम्ब अभ्यास के लिए रविवार का इंतजार रहता था।रीता दी के द्वारा प्रक्रिया करने में एक असीम शांति मिलती हैं लगता है हम सुरक्षा के घेरे में हैं।
अब तो ये हमारी दिनचर्चा में शामिल हैं सुबह की शुरुआत इसी से होती है और रात में भी ऊर्जा बिम्ब प्रक्रिया कर के ही सोते हैं।
अनुभव 'स्वयं की हिलींग से बहुत कुछ ऐसा पता चला जो इतनी जल्दी नहीं पता चलता है।मेरा blood pressure 170/130आया,मुझे इतनी ज्यादा bp होने के बाबजूद किसी तरह की परेशानी नहीं आई।डाक्टर भी अचंभित थे।'मेरे पूरे परिवार की सुरक्षा की डोर इसी से बंधी हैं।धन्यवाद डा.बी.पी साही जी इतनी सरल सहज प्रक्रिया के लिए एवं रीता दी आपको भी कोटि कोटि धन्यवाद हमें सिखाने के लिए।
🙏🙏
Hempriya deo:
P 15
ऊर्जा बिम्ब जब मैं पहली बार बना रही थी तो मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि हम अपने आप को ब्रह्माडिय ऊर्जा से जोड़ सकते है लेकिन मैंने ऊर्जा के प्रवाह को अपने शरीर में महसुस किया और अब तो ध्यान में बैठने के साथ ही ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो जाता हैं जो एक अद्भुत अनुभव है।
kavita Misal:
P 23
प्रणाम दी
हम पहले प्रॅक्टिस के अभाव मे न समझ पाये थे ऊर्जा बिंब की शक्ती को। अब दिनचर्या का एक भाग बन गया है।
अब तो दिव्य प्रेम एवम दिव्य क्षमा मन तल पर शुरू रहता है।
2. ऊर्जा बिंब से जीवन और रसमय ,सकारात्मक ,उर्जायुक्त,सुरक्षित ,संपन्न ,समृद्ध बन गया है।
3. खुद को भाग्यशाली समझती हूं कि मुझे इसलिये चुना गया।
4. निहित अद्भुत शक्ती का एहसास, अनुभूति हुई।
5. बार बार साही सर ,प्यारी और निष्पाप reeta दी को मन ही मन धन्यवाद देने का मन करता है।
6.मुझे जो आनंद मिल गया वो दुसरो को मिले इसलीये न्यास का प्रचार करती हूं।
7.सोचा वो पाती हूं। 2 मंत्र से patient एवम सहेलिया सकारात्मक हो गयी है
Reena Verma:
P45
जब मैं पहली बार माननीय रीता दीदी के सानिध्य में रहकर एनर्जी बाउल बना रही थी तो मुझे कुछ अनुभव नहीं हुआ था। परंतु धीरे-धीरे ऊर्जा बिंब का अनुभव होने लगा। मैं अपनी सारी परेशानी को ऊर्जा बिम्ब में दिव्य प्रेम प्रगट हो रोग शोक नष्ट हो तथा दिव्य क्षमा प्रगट हो रोग शोक नष्ट हो मंत्र से अभिमंत्रित कर देती थी जिससे बहुत हद तक मेरी परेशानी कम हो जाती है।
इस ऊर्जा बिंब से ऐसा लगता है कि हम अपनी ही ऊर्जा के सुरक्षा के घेरे में हैं। मेरे पति अभी दाउदनगर में कार्यरत है और अपने आवास से ही कार्यालय आना-जाना करते हैं। पहले जब तक वह घर न आ जाए मन घबराया रहता था परंतु अब जब से मैं उर्जा बिंब बना कर उन्हें सुरक्षित घेरे में डाल देती हूं मुझे कोई घबराहट नहीं होती है
🙏🙏
Joyshree Sana:
P16
शुरू शुरू मे ऊर्जा बिम्ब बनाने का अनुभव कुछ खास नहीं था पर धीरे धीरे सकारात्मकता का अहसास होने लगा और अपने को सुरक्षित लगने लगा पर अभी तक पूरी तरह एनर्जी बॉल बनाने में सफल नहीं हो पाई हू । प्रतिदिन कोशिश कर रही हूं।
Trisha pragati
P55
जब मैं प्रारंभ में अभ्यास कर रही थी तो आनंद आ रहा था परंतु कुछ महसूस नहीं हो रहा था ,परंतु धीरे-धीरे हाथों में भारीपन महसूस होने लगा, और मेरे अंदर नकारात्मकता जो भी था वो सकारात्मकता में बदल गया। और अब मैं अपने आप को हमेशा खुश और सकारात्मक महसूस करती हूं।
Sarita deshmukh
P50
शुरू शुरू में जब ऊर्जा बिम्ब बनाते तो ऊर्जा तो हाथों में महसूस होती थी ।अब प्रक्रिया करने का नाम लेते ही हाथों में ऊर्जा महसूस होती है। दिव्य प्रेम मंत्र दिन भर चलता रहता है। इसी ऊर्जा से हम हमारी सारी समस्या का हल निकाल सकते है ये हमारे लिए आश्चर्य और कैसे होता होगा ये प्रश्न था लेकिन अब धीरे धीरे समझ आ रही है।सारी समस्याएँ ऊर्जा बिम्ब से निकाल सकते है यह विश्वास हो गया है।
ऊर्जा बिम्ब के अभ्यास से क्रोध कम हो गया है और विचार कम आने लगे है।
ख़ुद को ऊर्जावान ,भाग्यशाली, समृद्ध और सन्तुलित मानती हूँ। घर में दिव्य प्रेम का वातावरण हो गया है।
दूसरों के ऊपर ऊर्जा बिम्ब का असर हुआ है याने ऊर्जा बिम्ब काम कर रहा है।
।।दीदी का आभार , शत् शत् नमन और धन्यवाद ।।
जो यह सुन्दर प्रक्रिया हमें सिखायी ।
............................
Sunday, 25 October 2020
न्यासयोग पाठ्यक्रम, अप्रैल, 2020 "क्या खोया"
न्यासयोग पाठ्यक्रम, अप्रैल, 2020 (प्रथम बैच)
"क्या खोया क्या खोया"
स्मिता सुप्रीति
न्यासयोग पाठ्यक्रम में मैं इतना कुछ खोयी, जितना अभी तक के जीवन सफर में कभी नहीं खोयी।सर्वप्रथम अपनी सुबह की गहरी नींद खोयी। फिर अपना चिड़चिड़ापन खोयी,क्रोध को मैंने खो दिया।कटु शब्दों के बाण को खोयी, उसके बाद दूसरों की हंसी उड़ाना,दूसरों की शिकायतें करना और सुनना को खो दी।अपने तनाव,ईर्ष्या को खोयी।दूसरों की अवहेलना करने की आदत को ख़ोई।
सबसे महत्त्वपूर्ण मेरी नकारात्मकता ही पूर्णतः खो गई।
सबसे ज्यादा अनमोल मेरे यह छह महीना।
धन्यवाद मेरी गुरु मेरी परम् मित्र रीता(जी) इन बीते हुए अनमोल छह महीने एवम् आने वाले सारी जिंदगी के लिए।
न्यासयोग ऊर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में अहम् रुप से कारगर है।आज की व्यस्ताओं भरी तनाव पूर्ण जिंदगी में हरेक दिन खुद की ऊर्जाओं के साथ कम से कम आधा घंटा बिताए तो हमारे जीवन की नकारात्मकता हमें छोड़ कर चलीं जाएगी, औंर हम तन और मन दोनों से स्वस्थ हो जाएंगे।जब हम स्वयं स्वस्थ्य और सकारात्मक हो जाएंगे तो अपने आप आस पास के व्यक्ति और वातावरण भी स्वस्थ एवं सकारात्मक हो जाएंगे। यही से समाजिक बदलाव की शुरुआत होगी।
आज के लोगों में किसी कार्य के प्रति धैर्य, विवेक एवं सामंजस्यता की कमी है,एक दूसरे से आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण में ऊपर उठने की चाह से उनमें द्वेष,ईर्ष्या, प्रतिस्पर्धा इत्यादि मानसिक रोगों से ग्रस्त हो जाते हैं।
खाने पीने और सोचने की अनुचित आदतों से व्यक्ति कई तरह की बीमारियों से घिर जाते हैं।
न्यासयोग में जुड़ने से ,गुरु के निर्देशानुसार बताए गए अभ्यासों को करने से हमारी ऊर्जा बिम्ब सुक्ष्म से सुक्ष्म विपदाओं से हमें तथा हमारे अपनो को संरक्षित करती हैं।पितृदोष जो हमारे समाज के लिए सबसे बड़े दोष के रूप में बताए जाते हैं और इससे बचने के लिए कई प्रकार के कर्मकांड बताए जाते हैं।
न्यास योग में यह बहुत सहज तरीके से बताया जाता है और इसे आनन्दोत्सव के रूप में मनाकर पूर्वजों के प्रेम से जोड़ देता है। पितृदोष से मुक्ति एक पीढी ही नहीं वरन् सात पीढियों के लिए बताया जाता हैं।
"दिव्य प्रेम प्रगट हो,रोग शोक नष्ट हो" मंत्र के जाप से सभी तरह की शारीरीक एवं मानसिक रोगों से निजात पा सकते हैं।
मैं अपनी गुरु डा. रीता सिंह जी की सदा आभारी रहुँगी,जिन्होंने मुझे न्यास योग उपचार एवं तनाव प्रबंधन पद्धति के लिए अपनी शिष्य के रूप में स्वीकार किया।
यह पद्धति समग्र रूप में मन को बदल देती है। जीवन के आदर्श गुणों से परिचय करवाती है। ईर्ष्या, क्रोध, आक्रोश सबसे दूर रहने का तरीका सिखाती है।
प्रेम, क्षमा, सफलता के साथ जीने की कला सिखाती है। इससे अच्छा और क्या चाहिए?
अपने जीवन में आएं बदलाव के आधार पर कहती हूँ कि इसका अभ्यास समाज में बढ़ जाये यो बदलाव आना ही है। इस सुंदर आभ्यास को लाने के लिए न्यास गुरु डॉ बी पी साही को बहुत बहुत धन्यवाद।
Tuesday, 25 August 2020
कुछ आध्यात्मिक हो जाय......
भादो महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाअष्टमी के रूप में मनाया जाता है और इसी दिन से 16 दिन का महालक्ष्मी व्रत मनाया जाता है।
धन-संपदा और समृद्धि की शक्ति महालक्ष्मी की आराधना भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक होती है।
बहुत ध्यान देना है कि शक्ति पूजन क्यों?
शक्ति यानी एनर्जी।
आप स्थूल शक्ति पाने के लिए भोजन करते हैं। ज्यादा कमजोरी आने पर डॉक्टरी सलाह से विटामिन्स, एनर्जी ड्रिंक्स, ब्लड आदि लेते हैं।
पर सिर्फ स्थूल एनर्जी से सबकुछ सही नहीं चलता है। सूक्ष्म एनर्जी की भी जरूरत पड़ती है। यह सूक्ष्म एनर्जी पाने के लिए विचारों का मंथन करना होता है।
शरीर, ज्ञान, बुद्धि, विवेक का समन्वय करना पड़ता है।
निराला की कविता "राम की शक्तिपूजा" की कुछ पंक्तियाँ देखें ......
"साधु, साधु, साधक धीर, धर्म-धन धन्य राम !"
कह, लिया भगवती ने राघव का हस्त थाम।
देखा राम ने, सामने श्री दुर्गा, भास्वर
वामपद असुर स्कन्ध पर, रहा दक्षिण हरि पर।
ज्योतिर्मय रूप, हस्त दश विविध अस्त्र सज्जित,
मन्द स्मित मुख, लख हुई विश्व की श्री लज्जित।
हैं दक्षिण में लक्ष्मी, सरस्वती वाम भाग,
दक्षिण गणेश, कार्तिक बायें रणरंग राग,
मस्तक पर शंकर! पदपद्मों पर श्रद्धाभर
श्री राघव हुए प्रणत मन्द स्वरवन्दन कर।
“होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम नवीन।”
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।
देखें यहां, जब राम ने शक्ति की पूजा प्रारम्भ की तो उनके अंदर से ही शक्ति सामने साकार हुई और जीत का आश्वासन देकर पुनः उसमें ही समाहित हो गई।
हरेक मनुष्य के अंदर ही तमाम शक्तियां निहित है। बस कुछ क्षण अपने अंदर प्रवेश कर उस शक्ति को महसूस करें, जागृत करें, उसका अनुभव करें और नवीन दृष्टिकोण से जीत के लिए आगे बढ़ें, यही हरेक पूजन दिवस का सन्देश होता है।
आज से सोलह दिन का समृद्धि के शक्ति जागरण के आंतरिक प्रकाश जागरण में जरूर शामिल हों। कुछ क्षण स्वयं के लिए स्वयं के साथ बिताएं।
राधा हो, लक्ष्मी हो, दुर्गा हो या काली हो सभी आपके अंदर के एनर्जी के नाम हैं, जो आपको व्यवस्थित करती है जीवन को सही दिशा देने में। आसुरी प्रवृति को समाप्त करने में।
आइए हम थोड़े आध्यत्मिक हो जाएं।
Thursday, 25 June 2020
न्यासयोग विमर्श - क्या न्यास योग उर्जा उपचार व्यक्तित्व/सामाजिक बदलाव में सहायक है*
सुप्रभात मैम, मैंने 5 दिन की न्यास योग की क्लासेस ली उसके बाद जीवन में जो सकारात्मक और अभूतपूर्व बदलाव आया उसे यहाँ बता रहा हूँ।
पहले दिन की क्लास से कुछ 2 हफ्ते पहले तक मैं अपने दोस्तों के व्यवहार से और अपने भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा परेशान था, सुबह से शाम तक पता नहीं कितनी बार उन्हीं बातो को सोच-2 कर कुंठित होता रहता था पर उस दिन मैंने उन 2 वचनों का अनुसरण किया तो एक चमत्कार जैसा हुआ, मन बिल्कुल शांत हो गया, उन दोस्तों को मैंने आभार और माफी का मैसज किया।
ऊर्जा बिम्ब से मैंने अनुभव किया कि मन अति प्रसन्न होता रहा पूरे दिन अलग सा महसूस किया और जिन बातों को लेकर काफी दिनों से विचलित था अब उन्हीं बातों पर खुद ब खुद सकारात्मक विचार आने लगे, मन से बोझ सा उतर गया। और अंतिम दिन वाले अभ्यास से मैंने अपनों के बारे में चिंतित होने की बजाए उनको ऊर्जा देना शुरू कर दिया।
ऐसा नहीं कि अब आलोचनात्मक विचार नहीं आते पर जैसे ही आते हैं तो अंदर से लगने लगता है कि नहीं ये नहीं करना, मुझे सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करना है। एक दिन कॉन्फ्रेंस कॉल पर एक चौथे दोस्त की आलोचना शुरू हुई और मेरे अंदर से अचानक उसके लिए ऐसे शब्द आये कि हमें उसकी परिस्थितियों को समझना चाहिए शायद वो सही हो हम गलत हो।
अंत में इतना कहना चाहूंगा कि मैम इस कोर्स से बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव आया और मुफ्त में आपने कई सारी समस्याओं का निदान कर दिया आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद।
यह कोर्स इतना अच्छा और अनिवार्य है कि मैं और लोगों को इसका लाभ उठाने के लिए प्रेरित करूँगा। अगर यह कोर्स1 हफ़्ते के कोर्स के रूप में पूरे देश के स्कूली पाठ्यक्रमों में लागू हो जाये तो युवा पीढ़ी की बहुत सी परेशानियों हल हो जाये और मानसिक तनाव व आत्महत्या जैसे मामले खत्म हो जाये।
मैं तो आपसे आग्रह करूँगा की प्रत्येक वर्ष में 4 बार ऐसे 1 हफ्ते के कोर्स करवाएं ताकि हम भी अपने आस पास के और अपने जानकारों को इसे जॉइन करने के लिए बोलें। यह ऐसा कोर्स है कि लोगो को पता भी नहीं है कि इससे जीवन में कितने बदलाव आएंगे और ना जाने कितनी समस्याओं के हल वे खुद निकालना सीख जायँगे।
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न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार से सामाजिक बदलाव संभव है।
संगीता पालीवाल, भोपाल
जब मुझसे प्रश्न किया गया कि क्या
न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार से सामाजिक बदलाव संभव है। मैंने खुद को तीन महीने पहले से खंगाला। आज से तीन महीना पहले सेंटर फॉर न्यास योग एंड अल्टरनेटिव थेरेपी के द्वारा चलाया गया सिक्स मंथ सर्टिफिकेट कोर्स जिसका नाम है -- न्यास योग एनर्जी थेरपी एंड स्ट्रेस मैनेजमेंट --
ज्वाइन किया था। कोर्स की ग्रैंड मास्टर रीता जी के कहने पर मैंने यह शुरू किया । वो जानती थीं कि मुझे योग में बहुत रुचि है ।
अप्रैल के शुरू में तो मुझे कोई खास अनुभव नहीं हुआ । पर हां बचपन से ही मुझे प्रत्येक कार्य सुचारू रूप से करने की आदत वश मैंने रीता जी की प्रत्येक क्लास को ध्यान पूर्वक अटेंड किया और नॉट्स भी लिए ।
उससे ये फर्क तो आया कि मै कभी कभी उस अपने लिखे हुए को , या गुरुमुख वाणी तथा जो रीता जी हमें कोर्स का सिलेवश भेजती थी उसको पढ़ती रहती थी ।
अप्रैल अंत में इतना समझ आ गया था कि इस पाठ्यक्रम से बहुत कुछ सिखा जा सकता है । 26 अप्रैल ज़ूम क्लास में जब हाथों में अपनी ही ऊर्जा को महसूस करना बताया तब उसको जब मैने महसूस किया उस दिन मुझे पक्का यकीन हो गया कि जो तुम चाह रही थी,वो सब कुछ तुझे यहीं मिलेगा।
खासकर तेरे सारे प्रश्नों के उत्तर और खुद को भी पूरी तरह से जान पाएगी। जब अप्रैल दूसरे सप्ताह में हमें आज के अभ्यास के विषय में बताया गया तब मुझे लगा ये तो हम सभी जानते है । अप्रैल अंत तक आते आते रीता जी द्वारा बार बार हमें ये याद दिलाना कि आज के दिन अभ्यास को अपने दैनिक कार्य का हिस्सा बनाना है तब लगा कि इतने दिनों में तो एक तोता भी रट लेता फिर मै तो इंसान हूं तो सोचा कि एक बार अनुसरण करने में क्या जा रहा है। फिर उस अभ्यास के दो वाक्य पर मैने पूरी ईमानदारी से काम करना शुरू कर दिया । तब तक मई शुरू हो चुका था। पूरा मई और जून एक स्वप्न की तरह बिता।
आज तीन महीने पूरे हो गए । इन तीन महीनों में मैने बहुत कुछ पाया और बहुत कुछ खोया । लेकिन जो भी खोया उससे जो मन को आंनद मिला वो मेरे लिए अनमोल है ।
मै शुरू से ही बहुत इमोशनल रही हूं दिमाग से नहीं दिल से सोचती थी । इससे मेरी दूसरे लोगों से एक्सपेक्टेशनस ( उम्मीद )बहुत बढ़ जाती थी और जब वो पूरी नहीं होती थी तब मुझे बहुत तकलीफ होती थी। बहुत रोती थी कभी अकेले में और कभी ईश्वर के सामने।
सोचती थी कि मै तो सभी के लिए अच्छा सोचती हूं फिर मेरे साथ एसा क्यों, कभी कभी तो तकलीफ इतनी ज्यादा कि मै फिजिकली भी सफर करती थी।
लेकिन न्यासयोग एनर्जी थेरपी और मंत्रों के माध्यम से उस सोच से बिल्कुल निकल चुकी हूं । अच्छा महसूस होता है उन बातों पर ध्यान ही नहीं जाता । सबसे अच्छी बात मंत्र के जाप द्वारा मेरा मन शांत हो गया है क्योंकि मन में नकारात्मक विचार आने बंद हो गए।
जो कारण मुझे तकलीफ देते थे, इन तीन महीने के दौरान मैने उसे पूरी तरह खो दिया और अब बस दिल दिमाग में आनन्द शेष रह गई है।
न्यासयोग गजब की तकनीक है, कैसे धीरे से आपकी सोच को पॉजिटिव कर देती है, पता भी नहीं चलता है।
अब तो हर किसी के लिए मन से दिव्य प्रेम का भाव निकलता है।
अंत में यही बताना चाहती हूं कि ये बदलाव मेरे लिए बहुत बड़ा अचीवमेंट है । इससे मै शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से स्वस्थ और प्रसन्न हूं।
बस वही बात जब मैं बदल सकती हूं, तो समाज क्यों नहीं?
समाज भी तो हमसे ही है।
निश्चित न्यासयोग ऊर्जा ऊपचार यदि पूरा समाज अपना ले तो वह दिव्य प्रेम में बदल जायेगा।
न्यासयोग प्रणेता, न्यासयोग प्रशिक्षक, न्यासयोग पद्धति सभी को धन्यवाद।
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न्यास योग उर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में सहायक है*
अनिता पांडे, कोलकाता
प्रशिक्षणार्थी - छह मासीय ऑनलाइन न्यासयोग एवं तनाव प्रबंधन
आज का उद्बोधन।
सभी को प्रणाम। सबसे पहले रीता दी का आभार। उनके माध्यम से हम लोगों को *श्रीमद् फाउंडेशन, सेंटर फाॅर न्यास योग एवं अल्टरनेटिव थेरेपी संस्था* से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जो कि सामाजिक कार्यों को समर्पित एक संस्था है।
आज विमर्श का विषय है -
न्यास योग उर्जा उपचार सामाजिक बदलाव में सहायक है*
मेरा उत्तर है - हां । यहां से योग ऊर्जा उपचार। अगर इन शब्दों के अर्थ पर जाएंगे तो पता चलता है कि इसमें दो चीजें काम करती हैं- न्यास यानी निकालना और रखना साथ ही इसका योग उर्जा उपचार के साथ करना। उर्जा किसी और की नहीं, कहीं और की नहीं, वरन स्वयं की। *एक अद्भुत समग्र आध्यात्मिक उपचार*
अब महत्वपूर्ण प्रश्न आता है कि क्या निकालें और क्या रखें।
न्यास योग के द्वारा हम तमाम तरह की नकारात्मकता को बाहर निकालते हैं और उसकी जगह सकारात्मकता की स्थापना करते हैं एवं उर्जा उपचार द्वारा तन और मन दोनों को ऊर्जावान बनाते हैं जिससे समग्र संतुलन में सहायता मिलती है।
आज हर व्यक्ति पारिवारिक मानसिक सामाजिक आर्थिक व्यावसायिक असंतुलन से गुजर रहा है। तनाव बढ़ते बढ़ते कुंठा में परिवर्तित होता चला जाता है और व्यक्ति का तन और मन दोनों ही बिगड़ जाता है। ऐसे में न्यास योग अत्यंत ही कारगर तकनीक है। यह एक ऐसी विधा है जो शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर कार्य करती है। व्यक्ति ऐसी उर्जा से परिपूर्ण हो जाता है जिससे परिस्थितियों से जूझने में सफलता मिलती है हमारा मन संतुलित होता है विषमताओं का नाश होता है और सफलता के रास्ते खुलते हैं।
अगर समाज की एक इकाई होने के नाते मैं स्वयं की बात करूं तो मेरे जीवन में ढेर सारी परेशानियां थी।
मुझे एक दिन अचानक से न्यास योग के बारे में पता चला। एक अनसुना सा नाम तो इस बारे में जिज्ञासा बढ़ी फिर इसके बारे में जाना और संयोगवश जल्द ही क्लास करने का मौका भी मिल गया। न्यास योग अपनाने के बाद से जीवन में काफी सारे बदलाव आए हैं । मेरे जीवन में सुख शांति आ गई है।
एक केस का जिक्र करना चाहूंगी जिससे मुझे संबल मिला-
एक पढ़ी-लिखी लड़की की शादी एक संभ्रांत परिवार में हुई परंतु अमीर लोगों के संस्कार बड़े निम्न कोटि के थे। वस्तुतः उनके ससुर जी टायर पंचर बनाते थे और झुग्गी झोपड़ी में रहते थे। एक बार 1 धनाढ्य व्यक्ति की उन्होंने मदद की तो खुश होकर उन्होंने धन दिया जिससे उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया और वह चल निकला। परंतु गुस्सा होने पर लड़ाई झगड़े करना और गालियां निकालने का संस्कार था जैसे कि साधारण तौर पर झुग्गी झोपड़ी वाले लड़ते हैं।
लड़की को सब सुख था परंतु अच्छे परिवार से आने की वजह से इन गंदी गालियों को सुनकर वह अत्यंत दुखी हो गई थी और उसने तलाक लेने का निर्णय किया और यह बात उसने अपने बुआ को बताइ।
बुआ बुद्धिमान थी उसने उससे कहां तुम यह लिखो कि तुम्हारी मनपसंद ससुराल और पति कैसा होना चाहिए और फिर स्वयं से पूछो की दूसरी शादी जो तुम करोगी वहां तुम्हारी मनपसंद का सब कुछ मिलेगा और दूसरी बात है अब तुम्हारा स्टेटस बदल गया है अब तुम कुंवारी कन्या नहीं बल्कि तलाकशुदा कहलाओगी।
बुआ अध्यात्म से जुड़ी थी और उन्होंने अपने भतीजी को न्यास योग से जुड़ने की सलाह दी ताकि सबसे पहले वह अपने जीवन का सुधार कर सके। जो कुंठा और तनाव उसके मन में घर कर गया था, जो तलाक लेने की वजह बन रही थी, उस को निकाल सके। न्यास योग अपनाने पर उसके जीवन में काफी बदलाव आया । उसने स्वयं को बदला और फिर अपने परिवार को बदलने पर कार्य शुरू किया। आज परिस्थितियां काफी काबू में है। उसने समस्या से भागने की बजाय समस्या के समाधान पर कार्य किया। रिश्ते को एक मौका दिया। आत्मविश्वास से भरकर एक नए पथ पर चल पड़ी।
सभी का जीवन दिव्य प्रेम से परिपूर्ण हो।
*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग शोक नष्ट हो*
Tuesday, 9 June 2020
Breathing Exercises (Praanayaam) with Mantra
Friday, 29 May 2020
आज का सन्देश - गुरुमुख से
30-05-2020
*आज का सन्देश - गुरुमुख से*
*समस्याएं 48 घण्टे पहले कारण शरीर में प्रवेश करती हैं*
गुरु स्थान पर बहुत सुंदर विमर्श चल रहा था। आने वाली परिस्थितियों, समस्याओं और समाधान पर चर्चा चल रही थी।
प्रश्न था कि *कैसे हम समस्याओं के आगमन का आकलन करें और समस्या गंभीर रूप ले उससे पहले ही स्वयं को सुरक्षित कर लें।*
गुरुजी ने बताया, हमारे शरीर की तीन अवस्था है।
स्थूल,
सूक्ष्म और
कारण
कारण शरीर जिसे Causal Body कहते हैं। यह प्रकाश शरीर है। आभामंडल या औरा का शरीर भी इसे कह सकते हैं। इसी शरीर में किसी भी समस्या का प्रथम आगमन होता है। चाहे वह शारीरिक समस्या हो, मानसिक हो, आर्थिक हो, व्यापारिक हो, शैक्षणिक हो या पारिवारिक/सामाजिक हो।
*इसे स्थूल रूप में आने में कम से कम 48 घण्टा लगता है।*
यदि हम औरा/आभामंडल को पहचानना सीख लें। कारण शरीर से संपर्क साधना सीख लें तो समस्या विस्तार रूप ले, उससे पहले ही हम उसपर काम कर उसके प्रभाव को रोक सकते हैं।
पर उस शरीर में प्रवेश के लिए सांसारिक इच्छाओं से थोड़ा ऊपर उठना होता है। स्थूल शरीर की इच्छाओं से थोड़ा उपर उठना होता है। भौतिक संसार की गिनती से अलग गुणा-भाग में प्रवेश करना होता है।
पति ने साड़ी नहीं दिया, पत्नी ने चाय नहीं दी, बच्चे ने जबाब दे दिया, पड़ोसी ने धुंआ कर दिया, उसकी आदत बहुत खराब है, भाभी मां को कष्ट देती है, भैया कुछ नहीं बोलते, पति ने मेरी बातों का जबाब नहीं दिया आदि से उपर उठना होता है।
कारण शरीर पारदर्शी है। शरीर के आर-पार हो जाना है। *यह मन के भाव से निकले प्रकाश से निर्मित होता है। मन से निकला प्रकाश जितना शुद्ध, पारदर्शी, द्वन्दरहित, आलोचनारहित, क्रोधरहित, मानवीय, सुंदर, आनन्द से भरा होगा उतना ही प्रकाशमय , धवल आपका कारण शरीर विकसित होगा।*
आपका मन जब तमाम छल-प्रपंच से बाहर आएगा, सांसारिक चीजों के लिए रोना बन्द कर देगा, तब आपका अपने कारण शरीर से संपर्क बन जाएगा। आपकी दृष्टि खुल जाएगी। तीसरे नेत्र से संपर्क हो जाएगा। तब आप दूसरे के कारण शरीर को भी देख पाने की क्षमता पा लेंगे।
आप पूर्ण आध्यात्मिक चिकित्सक बन जाएंगे।
यह तो बहुत कठिन है गुरुजी। संसार की बातों से इतनी दूरी संभव है क्या?
अब आपलोग देख लीजिए, आध्यात्मिक जीवन में प्रवेश की तो यही शर्तें हैं। यही सजगता है। यही व्यवस्था है। इससे इतर कुछ भी नहीं है। कोई शार्टकट नहीं है।
आप अपनी तैयारी देखकर आगे बढिए या संसार के कीचड़ में लोटपोट होते रहिए। चयन आपका है।
ओह!
अब क्या करें? संसार की इच्छाएं तो खिंचती हैं हमें। आकर्षित करती हैं हमें। कल भी लिपस्टिक लगाने का मन कर गया था, क्या इसे भी छोड़ दूं।
मन भाग रहा था कि गुरुजी ने टोका, आपलोग कल अपने मन को पढ़कर आइएगा, तब आगे की कक्षा में हमलोग बढ़ेंगे।
जी गुरुजी, कहकर हमलोगों ने विदा लिया।
*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग-शोक नष्ट हो*
*डॉ रीता सिंह*
*न्यासयोग ग्रैंड मास्टर*
Friday, 22 May 2020
Science of Spiritual Symbols
22-05-2020
गुरुमुख से
गुरुजी , मुझे यह यंत्र का विज्ञान समझ नहीं आता है। जब अपने औरा की ऊर्जा से हम एनर्जी बाउल बनाकर सुरक्षा घेरा बना ही लेते हैं। उसी ऊर्जा से चक्रों का सन्तुलन, दूसरे को हिलींग देना, सब काम आसानी से हो जाता है, तब यह विभिन्न तरह के यंत्रों की क्या जरूरत है?
गुरुजी हमेशा की तरह मुस्कुराए। उनकी स्मित मुस्कान से अपना ही प्रश्न निरर्थक लगने लगता है। उनके मुस्कान से विषय-वस्तु की सार्थकता सामने आ जाती है।
गुरुजी मधुर वाणी में बोले, *ठीक है फिर मैं न्यासयोग से सभी यंत्रों को हटा देता हूँ। क्यों कष्ट हो आपलोगों। कीजिए ऊर्जा का अभ्यास।*
हम तो समझ भी नहीं पाते कि कब गुरुजी मुस्काते हुए हमपर कोड़े बरसा देंगे। वह भी ऐसा कोड़ा, जो दिखे भी नहीं।
अभी भी अप्रत्यक्ष कोड़े की मार से हम तिलमिला उठे, पर कह कुछ नहीं सकते हैं। अंदर ही पीड़ा को पी जाना है। सवाल ही अटपटा करेंगे, तो जबाब भी अटपटा मिलेगा।
हम मौन रह गए।
गुरुजी ने कहना प्रारम्भ किया।
यंत्र, शब्द-संकल्प का शरीर होता है। आप अपने अचेतन मन में जिस अवधारणा को स्थापित करना चाहते हैं, यंत्र के माध्यम से सहजता से स्थापित कर सकते हैं।
यंत्र मानव के अचेतन मन से संपर्क बनाता है। फिर उसका शोधन करता है। नई ऊर्जा की स्थापना करता है।
कोई भी आध्यात्मिक यंत्र एक व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य, धन और समृद्धि लाता है। यंत्र का नियमित अभ्यास व्यक्ति के दिमाग को शांत करता है और मानसिक स्थिरता लाता है। यदि यंत्र के प्रत्येक तत्व पर ध्यान दिया जाए तो यह हमें शरीर के स्थूल, सूक्ष्म और कारण स्वरूप से संपर्क कराता है।
कारण शरीर यानी ऊर्जा शरीर से संपर्क बनते ही हम आध्यत्मिक चिकित्सा की पहली सीढ़ी पार कर लेते हैं।
प्रत्येक यंत्र का यह सामान्य कार्य है।
इसके अलावा सभी यंत्रों के अपने विशिष्ट कार्य भी होते हैं। कार्य की उच्चतम सफलता के लिए यंत्रों का प्रयोग आवश्यक है।
गुरुवाणी से हमारा चित्त स्थिर हुआ। महसूस हुआ कि यंत्र को समझने के लिए किया गया हमारा प्रश्न सार्थक था।
गुरु कृपा ही केवलम।
*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग-शोक नष्ट हो।*
*डॉ रीता सिंह*
*न्यासयोग ग्रैंड मास्टर*
Tuesday, 12 May 2020
Nyasyog Pitru Dosh
Sunday, 10 May 2020
श्रीमद फाऊंडेशन साहित्यिक गतिविधि
Sunday, 3 May 2020
*गुरुमुख से*-दूसरे के कर्मफल हमारे अंदर कैसे और क्यों संचित होते है?*
Saturday, 2 May 2020
क्षमा प्रार्थना
Monday, 27 April 2020
Gurumukh Se - Let us love one another.
Saturday, 25 April 2020
आज का प्रश्न
कमेंट के माध्यम से उत्तर दे ।