37 years ago Dr. B. P. Sahi, well known spiritual grand master, revealed nyas yog as a system of improving one's intellect, financial condition, career prospect and other aspects of life. The system is based on chakra balancing with the help of mantra shakti.
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Saturday, 25 April 2020
आज का प्रश्न
विपरीत कामना - भाव वाले लोग जब एक दूसरे से जुड़ जाएँ तो कैसे वे साथ रह सकते हैं ?
A34,viprit kamna-bhav wale log jab ek dusre k sath jud jayege to vey apne vicharo k swatantra se ek sath rah purge.jinme sakaratmak urja hai dusre unk sath rahkr ya sakaratmak ho sakte hai,anyatha wo khud hi alag ho jayege.🙏🙏
विपरीत भावना वाले लोग जब एक दूसरे से जुड़ते हैं ।वो एक दूसरे को जानलें तब जुड़ें बेहतर होगा ।एक दूसरे के साथ रहने में आसानी होगी। बिना एक दूसरे को जाने ही साथ रहते हैं तब दोनों खुद को एक दूसरे के साथ के लिए थोड़ा थोड़ा बदलें और एक दूसरे की अच्छाई बुराई को दिल से अपनाते हुए साथ रहें ।फिर भी समस्या आ रही है तब अलग रहने की सोचें । यदि उन दोनों में से कोई एक हर हाल में साथ रहना ही चाहता है तब आखिरी उपाय मौन धारण करें और सकारात्मक सोच के साथ बिना एक दूसरे पर आरोप लगाए शांति से आगे बढ़ें और खूब खुश रहें।
A13 विपरीत कामना वाले व्यक्ति को एक साथ व्यवस्थित रहने के लिए डायरी लिखने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए बाद में उसे पढ़ें तब आपको।अपने में ही बहुत सारी गलतियां नजर आएगी एवं आपके विचार भी संतुलित होंगे एवं मौन तो सबसे बड़ा हथियार है ही
बिपरीत भाव वाले लोगों को सकारात्मक बनाने की कोशिश करे और खुद शांत रहे अगर वो सकारत्मक नहीं हो पाता है तौ उससे दुरी बनाए लेकिन अगर वो आपके घर का ही मेम्बर हो जिस से हम दूर नहीं हो सकते है तो उसपर दिव्य प्रेम प्रकट हो रोग शोक नष्ट हो का जप करते रहे निस्चय ही वो आपके जईसे हो जाएगा फिर आप आराम से उसके साथ रह सकते हैं और खुश भी रहेंगे A12
A32. विपिरित कामना भाव वाले लोग जब आपस में जुड़ते हैं तो सबसे पहले उन्हें एक दूसरे के भावना को अच्छे से समझना चाहिए। फिर दोनों के सकरत्मक पहलू को देखना चाहिए। क्योकि हर मनुष्य को प्रेम प्रिय होता है। जब हम सामने वाले के सकरामक पक्ष को देखेंगे तब ही उसके प्रति उदार हो सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले खुद को सकरामक ऊर्जा से भरना पड़ेगा।। ऐसा करने से हम किसी भी कामना भाव वाले मनुष्य के साथ रह सकते हैं।
A67-दो विपरीत विचार की स्थिति में जब दोनों एक दूसरे पर दोषदोषारोपण करे तो एक को चुप होकर सामने से हट जाना चाहिए।ताकि बाद में दूसरें को उस की बात पर चुप्पी का एहसास हो जाए।इस तरह से दोनों बदलते समय के साथ एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने लगेगें।
26 comments:
विपरीत कामना भाव वाले व्यक्ति जब साथ जुड़ जाएं, उनके निंदा से खुद को सीख लेने की जरूरत क्योंकि अपनी गलती को खुद पकड़ना संभव ही नहीं
A34,viprit kamna-bhav wale log jab ek dusre k sath jud jayege to vey apne vicharo k swatantra se ek sath rah purge.jinme sakaratmak urja hai dusre unk sath rahkr ya sakaratmak ho sakte hai,anyatha wo khud hi alag ho jayege.🙏🙏
विपरीत भावना वाले लोग जब एक दूसरे से जुड़ते हैं ।वो एक दूसरे को जानलें तब जुड़ें बेहतर होगा ।एक दूसरे के साथ रहने में आसानी होगी। बिना एक दूसरे को जाने ही साथ रहते हैं तब दोनों खुद को एक दूसरे के साथ के लिए थोड़ा थोड़ा बदलें और एक दूसरे की अच्छाई बुराई को दिल से अपनाते हुए साथ रहें ।फिर भी समस्या आ रही है तब अलग रहने की सोचें । यदि उन दोनों में से कोई एक हर हाल में साथ रहना ही चाहता है तब आखिरी उपाय मौन धारण करें और सकारात्मक सोच के साथ बिना एक दूसरे पर आरोप लगाए शांति से आगे बढ़ें और खूब खुश रहें।
A--34
A--34
A 78.krodh dikha ki maun ho jana hai.bad me fir bat karke kam karna hai
बढ़िया
सही बात
बहुत सुंदर।
सही है।
मौन से बड़ा हथियार और कोई नहीं।
A13 विपरीत कामना वाले व्यक्ति को एक साथ व्यवस्थित रहने के लिए डायरी लिखने की प्रक्रिया अपनानी चाहिए बाद में उसे पढ़ें तब आपको।अपने में ही बहुत सारी गलतियां नजर आएगी एवं आपके विचार भी संतुलित होंगे एवं मौन तो सबसे बड़ा हथियार है ही
बिपरीत भाव वाले लोगों को सकारात्मक बनाने की कोशिश करे और खुद शांत रहे अगर वो सकारत्मक नहीं हो पाता है तौ उससे दुरी बनाए लेकिन अगर वो आपके घर का ही मेम्बर हो जिस से हम दूर नहीं हो सकते है तो उसपर दिव्य प्रेम प्रकट हो रोग शोक नष्ट हो का जप करते रहे निस्चय ही वो आपके जईसे हो जाएगा फिर आप आराम से उसके साथ रह सकते हैं और खुश भी रहेंगे A12
Asha devi
A32.
विपिरित कामना भाव वाले लोग जब आपस में जुड़ते हैं तो सबसे पहले उन्हें एक दूसरे के भावना को अच्छे से समझना चाहिए। फिर दोनों के सकरत्मक पहलू को देखना चाहिए। क्योकि हर मनुष्य को प्रेम प्रिय होता है। जब हम सामने वाले के सकरामक पक्ष को देखेंगे तब ही उसके प्रति उदार हो सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले खुद को सकरामक ऊर्जा से भरना पड़ेगा।। ऐसा करने से हम किसी भी कामना भाव वाले मनुष्य के साथ रह सकते हैं।
बहुत बढ़िया
A67-दो विपरीत विचार की स्थिति में जब दोनों एक दूसरे पर दोषदोषारोपण करे तो एक को चुप होकर सामने से हट जाना चाहिए।ताकि बाद में दूसरें को उस की बात पर चुप्पी का एहसास हो जाए।इस तरह से दोनों बदलते समय के साथ एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने लगेगें।
बढ़िया
प्रणाम।
प्रणाम।
प्रणाम।
सुंदर सुझाव
बहुत सुंदर।
स्प्ष्ट विचार
प्रणाम
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