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Thursday, 16 April 2020

Gurumukh Se



*गुरुमुख से

*परिपक्व व्यक्तित्व का निर्माण*

गुरुजी हमेशा कहते हैं, विशाल बनिए, अपना व्यक्तित्व परिपक्व बनाइए। बच्चों की चंचलता आपलोगों के लिए नहीं है। जो न्यास योग की पहली कक्षा में भी प्रवेश कर जाएगा,उसकी चंचलता समाप्त होनी ही चाहिए।
गुरुजी, यह परिपक्व व्यक्तित्व क्या है
परिपक्व व्यक्तित्व से पहले  पहले व्यक्तित्व क्या है, समझें। 
विवेकानन्द के अनुसार -"मनुष्य में जो शक्ति होती है उसका एक तिहाई भाग वह दूसरों को प्रभावित करने में लगाता है। दूसरों को प्रभावित करने में लगाई जा रही यही शक्ति व्यक्तित्व है। 
भागवतगीता के अनुसार व्यक्ति के गुणों के आधार पर उसके व्यक्तित्व का निर्धारण होता है। 
यह गुण तीन हैं - सत्व, रज और तम। इस तरह व्यक्ति में तीन तरह के व्यक्तित्व होते हैं। सत्वगुण प्रधान व्यक्तित्व, रजोगुण प्रधान व्यक्तित्व, तमोगुण प्रधान व्यक्तित्व। इन गुणों से परे चले जाना परिपक्व व्यक्तित्व है। गीता में इसे गुणातीत अवस्था कहा गया है। व्यक्ति का समभाव में होना परिपक्व व्यक्तित्व की पहचान है। 
सुख-दुःख, निंदा-प्रशंसा, मान-अपमान, मित्रता-शत्रुता आदि में समान भाव में रहना परिपक्व व्यक्तित्व है।परिपक्व व्यक्तित्व से युक्त व्यक्ति की बुद्धि स्थिर होती है। राग-द्वेष, भय, क्रोध आदि संवेगों से वह मुक्त होता है। न्यासयोग का अभ्यास व्यक्ति को परिपक्व व्यक्तित्व में परिवर्तित कर देता है।

*दिव्य प्रेम प्रगट हो, रोग-शोक नष्ट हो
डॉ रीता सिंह


From Gurmukh

Making of Matured Personality

Guruji always says, be magnificent, make your personality mature. Versatility like children is not for you people. Those who join even the first class of nyasyog, must cease to have their versatility.

Guruji, what is this matured personality?

 First understand what is a personality before understanding what is matured personality.

 According to Vivekananda - "One-third of the power that a man possesses is used by him to influence others. This power that is being used to influence others is personality.

According to the Bhagvad Gita, a person's personality is determined by his qualities.
 These qualities are of  three types - sattva, raja and tama. In this way there are three types of personalities. Personality having main component as satvaguna, personality having main component as rajoguna, and personality having main component as tamoguna. Moving beyond these three qualities is a matured personality. In the Gita, it is called gunanit state. Being in equanimity is the identification of a matured personality.

 Living in the same spirit in happiness-sorrow, condemnation-praise, grace- disgrace, friendship-enmity etc. is a matured personality. A person with matured personality has a stable intellect.  He is free from emotions impulses like anger ,hatred, fear, malice etc. The practice of nyasyog transforms a person into a matured personality.

Divya Prem Pragat Ho, Rog Shok Nasht Ho

Dr. Rita Singh

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